आइआइएम को भी समय पर जमीन नहीं दे पायी सरकार

राजेश तिवारी रांची : इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (आइआइएम) रांची के लिए राज्य सरकार समय पर जमीन नहीं दे पायी. संस्थान के लिए सबसे पहले रांची के नगड़ी में लॉ यूनिवर्सिटी के साथ जमीन दी गयी थी, पर विस्थापितों के विरोध को देखते हुए आइआइएम के लिए जमीन कांके प्रखंड के चेरी में देने का […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 30, 2015 7:03 AM
राजेश तिवारी
रांची : इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (आइआइएम) रांची के लिए राज्य सरकार समय पर जमीन नहीं दे पायी. संस्थान के लिए सबसे पहले रांची के नगड़ी में लॉ यूनिवर्सिटी के साथ जमीन दी गयी थी, पर विस्थापितों के विरोध को देखते हुए आइआइएम के लिए जमीन कांके प्रखंड के चेरी में देने का निर्णय लिया गया.
अब सरकार एचइसी परिसर में आइआइएम के लिए जमीन उपलब्ध करायेगी. सरकार आइआइएम रांची को 50 एकड़ जमीन देगी. इसके लिए जिला प्रशासन की ओर से आवश्यक कार्रवाई शुरू कर दी गयी है.
चेरी में दी गयी है 90
एकड़ जमीन
आइआइएम को कैंपस बनाने के लिए रांची जिला प्रशासन के द्वारा कांके प्रखंड के चेरी में 90 एकड़ जमीन पहले ही हस्तांतरित की जा चुकी है. 29 अप्रैल 2013 को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री एम पल्लम राजू के द्वारा कैंपस बनाने के लिए इस जमीन पर शिलान्यास किया था. शिलान्यास के समय तत्कालीन केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश, सीएम हेमंत सोरेन, सुबोधकांत सहाय समेत कई दिग्गज भी उपस्थित थे.
शिलापट्ट 15 दिनों में ही उखाड़ा
आइआइएम को जमीन मिलने के बाद शिलान्यास के तुरंत बाद ग्रामीणों ने विरोध शुरू कर दिया था. शिलान्यास स्थल के शिलापट्ट को ग्रामीणों ने 15 दिनों में ही उखाड़ दिया. ग्रामीण अपनी जमीन आइआइएम को देना नहीं चाह रहे थे.
शुरुआत में सरकार ने चेरी में 90 एकड़ जमीन आइआइएम को दिया था और बाद में उसी जगह पर 11 एकड़ जमीन देने का वादा किया था. ग्रामीणों के विरोध के कारण शिलान्यास के दो साल के बाद तक वहां निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है. जिसके बाद सरकार ने उसे एचइसी एरिया में जमीन देने का निर्णय लिया है.
जमीन के चलते लटक गये दर्जनों संस्थान
राज्य सरकार कई महत्वपूर्ण शिक्षण संस्थानों के लिए भी जमीन नहीं खोज सकी है. जमीन नहीं मिलने से निर्माण लंबित है. विभिन्न विभागों के तहत प्रशिक्षण व कौशल विकास के लिए कई संस्थान बनने हैं. इनमें से कई जमीन नहीं मिलने के कारण नहीं बन रहे या फिर इसका प्रस्ताव ही रद्द कर दिया गया है.

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