रांची. कोल इंडिया लिमिटेड की अनुषंगी कंपनियां बीते पांच वर्षाें में 42 खदानें बंद कर चुकी हैं. इसमें सीसीएल की तीन खदानें शामिल हैं. इस दौरान बीसीसीएल का एक भी खदान बंद नहीं किया गया है. वहीं, इसीएल की छह खदानें बंद की गयी हैं. सबसे अधिक 18 खदानें डब्ल्यूसीएल की बंद की गयी हैं. 42 खदानों में से 30 अंडरग्राउंड तथा 12 ओपेन कास्ट हैं. बंद खदानों को एमडीओ के माध्यम से निजी कंपनियों को सौंपने पर काम हो रहा है. सीसीएल में पिपरवार ओपनकास्ट और सरुवेरा तथा उरीमारी अंडरग्राउंड खदान को बंद किया गया है.
पर्यावरण स्वीकृति नहीं मिलने से बंद हुआ सारुवेरा माइंस
रामगढ़ जिले का सारुवेरा माइंस पर्यावरण स्वीकृति नहीं मिलने के कारण बंद हो गया है. यहां जमीन संबंधी कई मामले थे, जिसका समय पर समाधान नहीं हो पाया है. इस कारण कंपनी की इस खदान को बंद करना पड़ा. उरीमारी खदान के अतिरिक्त चतरा जिले के पिपरवार से भी उत्पादन बंद हो गया है. पिपरवार एशिया की सबसे बड़ी ओपन कास्ट खदान थी. कई देशों की मदद से इसे शुरू किया गया था.किस कंपनी की कितनी खदानें बंद
एनइसी :
लेडो ओपनकास्ट, टिकाक ओपनकास्ट, टिपोंग अंडरग्राउंड व तिरप ओपनकास्ट. एसइसीएल : विश्रामपुर ओपनकास्ट, महामाया अंडरग्राउंड, महान ओपनकास्ट, पवन अंडरग्राउंड, सुराकछार 3 एवं 4 अंडरग्राउंड, सुराकछार अंडरग्राउंड मुख्य खान, जमुना अंडरग्राउंड आरओ (1 एवं 2), कपिलधारा अंडरग्राउंड, न्यू अमलाई अंडरग्राउंड व पिनौरा अंडरग्राउंड.डब्ल्यूसीएल :
बरकुही ओपनकास्ट, भारत (घारावडी-2) ओपनकास्ट, ओपनकास्ट डैम, गणपति अंडरग्राउंड, घरवारी/झरना अंडरग्राउंड, मोहन फेज- IV ओपनकास्ट, न्यू सेठिया ओपनकास्ट, शोभापुर अंडरग्राउंड, विष्णुपुरी- I अंडरग्राउंड, एबी-इंक्लाइन अंडरग्राउंड, सीआरसी अंडरग्राउंड, महाकाली अंडरग्राउंड, मन्ना अंडरग्राउंड, मुरपर अंडरग्राउंड, पद्मपुर ओपनकास्ट, पिपला अंडरग्राउंड, सारनी अंडरग्राउंड व सस्ती अंडरग्राउंड.इसीएल :
गोपीनाथपुर ओपनकास्ट एवं अंडरग्राउंड, चिनकुरी I अंडरग्राउंड, जेमेहरी अंडरग्राउंड, कालीपहाड़ी अंडरग्राउंड, एसएस इंक्लाइन अंडरग्राउंड व सोडेपुर (आर) अंडरग्राउंड.एमसीएल :
ओरिएंट कोलियरी, खान संख्या-3 अंडरग्राउंड.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है