खोखली हो गयी छतरपुर की मंदेया पहाड़ी

छतरपुर (पलामू): छतरपुर-सरईडीह रोड स्थित मंदेया पहाड़ी का अस्तित्व खतरे में है. यह पहाड़ी चार-पांच वर्ष पहले काफी ऊंची थी.पेड़ पौधों से पहाड़ी हरी-भरी दिखती थी. वर्तमान में यह पहाड़ी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है. पत्थर माफिया विस्फोट कर पहाड़ी को खोखला बनाने में जुटे हैं. धड़ल्ले से पत्थरों को अवैध रूप से […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 4, 2015 7:31 AM
छतरपुर (पलामू): छतरपुर-सरईडीह रोड स्थित मंदेया पहाड़ी का अस्तित्व खतरे में है. यह पहाड़ी चार-पांच वर्ष पहले काफी ऊंची थी.पेड़ पौधों से पहाड़ी हरी-भरी दिखती थी. वर्तमान में यह पहाड़ी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है. पत्थर माफिया विस्फोट कर पहाड़ी को खोखला बनाने में जुटे हैं. धड़ल्ले से पत्थरों को अवैध रूप से तोड़ा जा रहा है. विस्फोट के कारण पहाड़ी में जगह-जगह बड़े-बड़े गड्ढे बन गये हैं. दुर्घटना की आशंका बनी रहती है.
छतरपुर-सरईडीह रोड स्थित मंदेया गांव है. इसी गांव के पास यह पहाड़ी है. इसे लोग मंदेया पहाड़ी के नाम से जानते हैं. आस-पास गांव के लोगों का कहना है कि चार-पांच वर्ष पहले पहाड़ी हरा-भरा दिखती थी, लेकिन अब अवैध उत्खनन के कारण इसके अस्तित्व पर संकट बना हुआ है.
मंदेया पहाड़ी डेढ़ से दो एकड़ में फैली हुई है. पहले इस पहाड़ी से गांव की पहचान थी. पुराने लोग कहते हैं कि कोई बाहर से आने वाला व्यक्ति पहाड़ी को देख कर समझ जता था कि वह मंदेया गांव पहुंच गये हैं, लेकिन अब ऐसी बात नहीं रही. सुबह छह बजे और शाम छह से सात बजे के बीच डायनामाइट लगा कर पत्थर तोड़ा जाता है, जिसकी आवाज छतरपुर तक पहुंचती है. ऐसी स्थिति सिर्फ मंदेया पहाड़ी की नहीं है, बल्कि मुनकेरी, बचकोमा, बरडीहा, करमा-चेरांई, सलैया, सिलदाग आदि गांव में स्थित पहाड़ व पहाड़ी का अस्तित्व भी खतरे में है. यहां भी पहाड़ों की ऊंचाई धीरे-धीरे छोटी होती जा रही है.

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