शुरू हुआ स्कूल चलायें अभियान
रांची: स्कूल चलें अभियान के बाद राज्य के 41 हजार प्राथमिक व मध्य विद्यालय में स्कूल चलायें अभियान शुरू हुआ है. इसके तहत स्कूल चलें अभियान में नामांकित बच्चों के ठहराव के लिए ‘प्रयास’ योजना शुरू की गयी है. इस योजना को गत वर्ष पायलट प्रोजेक्ट के तहत सभी जिलों के एक-एक प्रखंड के विद्यालय […]
रांची: स्कूल चलें अभियान के बाद राज्य के 41 हजार प्राथमिक व मध्य विद्यालय में स्कूल चलायें अभियान शुरू हुआ है. इसके तहत स्कूल चलें अभियान में नामांकित बच्चों के ठहराव के लिए ‘प्रयास’ योजना शुरू की गयी है. इस योजना को गत वर्ष पायलट प्रोजेक्ट के तहत सभी जिलों के एक-एक प्रखंड के विद्यालय में शुरू किया गया था.
इससे बच्चों की उपस्थिति में काफी बढ़ोतरी हुई थी. योजना की सफलता को देखते हुए राज्य के 41 हजार प्राथमिक व मध्य विद्यालय में एक मई से इसे लागू किया गया है. स्कूलों में नामांकित बच्चों का ठहराव सुनिश्चित करने, योजना की समीक्षा के लिए आठ मई को राज्य भर के जिला शिक्षा अधीक्षक व अन्य पदाधिकारियों की बैठक बुलायी गयी है.
बैठक में अधिकारियों को योजना के बारे में और विस्तार से जानकारी दी जायेगी. उल्लेखनीय है कि पायलट प्रोजेक्ट के तहत जिन विद्यालयों में यह योजना लागू की गयी थी, उनमें से कई स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति 80 फीसदी तक हो गयी है. पहले विद्यालय आने वाले बच्चों की संख्या 50 फीसदी तक थी.
सहपाठी लाते हैं स्कूल
इस योजना के तहत सरकारी स्कूलों में पढ़नेवाले बच्चों के स्कूल नहीं आने पर अब उनके सहपाठी स्कूल लाने उनके घर जाते हैं. स्कूल से बाहर हो चुके पांच से 14 वर्ष तक के बच्चों को स्कूल लाने की योजना है. इस माह से रांची जिले के सभी स्कूलों में इस योजना को लागू किया जायेगा.
क्या है योजना
स्कूल में बच्चों की औसत उपस्थिति के आधार पर बच्चों को स्कूल लाने की योजना.
प्रत्येक विद्यालय के पोषक क्षेत्र का निर्धारण.
बाल पंजी में क्षेत्र के शून्य से 14 वर्ष तक के बच्चों का नाम व पंजी को समय-समय पर अद्यतन किया किया जाता है.
स्कूल में बच्चों की उपस्थिति दो बार दर्ज होगी. प्रतिदिन स्कूल आनेवाले बच्चों के लिए उपस्थिति पंजी में जी, तीन दिन लगातार नहीं आनेवालों के लिए वाई, 15 दिन नहीं आनेवालों के लिए बी व एक माह तक स्कूल नहीं आनेवाले बच्चों की उपस्थिति पंजी में आर लिखा जाता है.
माह भर स्कूल आनेवाले बच्चों को अलग-अलग ग्रुप में बांटा जायेगा. प्रत्येक ग्रुप की देखरेख विद्यालय के एक शिक्षक या ग्राम शिक्षा समिति के सक्रिय सदस्य के जिम्मे होता है.
माह भर स्कूल नहीं आनेवाले बच्चों के अभिभावक को शनिवार को होनेवाली शिक्षक अभिभावक बैठक में बुलाया जाता है.
बच्चे को स्कूल भेजने के लिए अभिभावक की काउंसलिंग की जाती है.
बच्चे जिस कारण से स्कूल नहीं आ रहे हैं, उसे दूर किया जाता है.
इसके बाद भी अगर बच्चे स्कूल नहीं आते हैं, तो क्षेत्र के सीआरपी बच्चों को स्कूल लाने के लिए घर जाते हैं.
बच्चे इसके बाद भी स्कूल नहीं आते हैं, तो ग्रुप के बच्चे घर जाकर अपने दोस्त को स्कूल लाते हैं.