बोरिंग किये बिना बिछा दी पाइप लाइन
निर्माणाधीन पाइप लाइन पेयजलापूर्ति योजनाओं की प्रगति की समीक्षा के दौरान हुआ खुलासा अगर बोरिंग फेल हुई तो होगा करोड़ों रुपये का दुरुपयोग रांची : ग्रामीण पेयजलापूर्ति योजनाओं में इंजीनियरों ने बगैर बोरिंग और टैंक बनाये ही जलापूर्ति के लिए पाइप लाइन बिछा दी है. इंजीनियरिंग के इस अनोखे नमूने पर विभागीय सचिव ने अपनी […]
निर्माणाधीन पाइप लाइन पेयजलापूर्ति योजनाओं की प्रगति की समीक्षा के दौरान हुआ खुलासा
अगर बोरिंग फेल हुई तो होगा करोड़ों रुपये का दुरुपयोग
रांची : ग्रामीण पेयजलापूर्ति योजनाओं में इंजीनियरों ने बगैर बोरिंग और टैंक बनाये ही जलापूर्ति के लिए पाइप लाइन बिछा दी है. इंजीनियरिंग के इस अनोखे नमूने पर विभागीय सचिव ने अपनी नाराजगी का इजहार किया है.
साथ ही इंजीनियरों ने यह जानना चाहा है कि अगर निर्धारित स्थल पर बोरिंग सफल नहीं हुई, तो पाइप लाइन बिछा कर सरकारी पैसों के दुरुपयोग के लिए कौन जिम्मेवार होगा. राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में निर्माणाधीन पाइप लाइन पेयजलापूर्ति योजनाओं की प्रगति की समीक्षा के दौरान विभागीय सचिव को इस बात की जानकारी मिली कि करीब 100 करोड़ रुपये से अधिक की योजनाओ में बोरिंग और टैंक बनाने से पहले ही सप्लाइ के लिए पाइप लाइन बिछा दी गयी है. व्यावहारिक तौर पर यह गलत है.
क्योंकि अगर निर्धारित स्थल पर बोरिंग फेल हो गयी, तो सप्लाइ लाइन पर किया गया खर्च बेकार हो जायेगा. समीक्षा में यह पाया गया कि रांची पश्चिम अंचल द्वारा सोसई पेयजलापूर्ति का निर्माण कराया जा रहा है. अभी इनटेक वेल/बोर वेल का डिजाइन बना कर सेंट्रल डिजाइन ऑफिस (सीडीओ) में जमा किया गया है. वहीं आवश्यक्ता के मुकाबले 100 प्रतिशत पाइप की खरीद हो चुकी है. इसी तरह 9.95 करोड़ की लागत से बन रहे कुड़ू पाइप लाइन जलापूर्ति योजना में इनटेक वेल/बोर वेल का काम नहीं हुआ है. पर, सप्लाइ लाइन का काम 20 प्रतिशत पूरा किया जा चुका है.
खूंटी जिले में तोरपा पाइप लाइन जलापूर्ति योजना में इनटेक वेल/बोर वेल का काम सिर्फ पांच प्रतिशत ही हुआ है. रामगढ़ जिले के चुंबा ग्रामीण पेयजलापूर्ति योजना में सप्लाइ लाइन का काम 90 प्रतिशत पूरा हो चुका है. वाटर ट्रिटमेंट प्लांट का काम 80 प्रतिशत हो चुका है. पर, इनटेक वेल/बोर वेल का काम सिर्फ 40 प्रतिशत हुआ है.