आदिवासियों में कायम रहे सौहार्द्र

रांची: झारखंड सद्भावना मंच ने आदिवासी समुदाय में पारस्परिक मेल-प्रेम, समझदारी, आपसी सम्मान व सामाजिक समरसता की कामना की है. मंच ने बयान जारी कर कहा है कि सरना व ईसाई आदिवासियों के बीच बढ़ते तनाव को दूर कर आदिवासी एकता को बनाये रखने की जरूरत है. मंच ने कई सुझाव भी दिये हैं. मंचके […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 8, 2013 6:28 AM

रांची: झारखंड सद्भावना मंच ने आदिवासी समुदाय में पारस्परिक मेल-प्रेम, समझदारी, आपसी सम्मान व सामाजिक समरसता की कामना की है. मंच ने बयान जारी कर कहा है कि सरना व ईसाई आदिवासियों के बीच बढ़ते तनाव को दूर कर आदिवासी एकता को बनाये रखने की जरूरत है. मंच ने कई सुझाव भी दिये हैं.

मंचके अनुसार धुर्वा के सिंगपुर पल्ली में मरियम की मूर्ति को भारतीय संस्कृति के अनुसार साड़ी पहनाने पर सरना आदिवासियों को इसलिए आपत्ति है, क्योंकि साड़ी की पाड़ लाल है. जब किसी भी जाति, धर्म, या समुदाय की भारतीय महिला अपनी पसंद के अनुसार लाल पाड़ की साड़ी पहन सकती है, तो ईसाइयों द्वारा मरियम की मूर्ति को लाल पाड़ की साड़ी पहनाना उनकी पसंद है. जब सरना व ईसाई आदिवासी माताएं व बहनें वर्षो से लाल पाड़ की साड़ियों में विशिष्ट सौंदर्य व मर्यादा का एहसास करती आ रही हैं, तो आज भी उन्हें इस परिधान में रहने का समान अधिकार होना चाहिए.

भारतीय संविधान के मौलिक अधिकार की 25वीं धारा द्वारा धार्मिक स्वतंत्रता व विश्वास की अभिव्यक्ति की रक्षा सभी नागरिकों के लिए किया गया है. इसलिए सिंगपुर पल्ली में ईसाई आदिवासियों द्वारा मरियम की मूर्ति को अपनी आस्था के परिधान में सुसज्जित करना उनका मौलिक अधिकार है.

झारखंड सद्भावना मंच ईसाई आदिवासियों से भी अपील करता है कि वे अपनी धार्मिक भावनाएं प्रकट करते समय संयम बरतें और सरना धर्मावलंबियों से संवाद कर गलतफहमी दूर करे. विघटनकारी शक्तियां जाति, धर्म व संस्कृति के आधार पर समाज को तोड़ने में लगी है. ईसाई व गैर ईसाई आदिवासी सामाजिक नेता व धर्मगुरु अपनी सांस्कृतिक मूल्यों व धरोहर को पारस्परिक सहयोग से मजबूत करें. मंच पर सरदार जसबीर सिंह, फादर एलेक्स एक्का, डॉ शांति खलखो, मेजर गुरुदयाल सिंह सलूजा, सोहैल अनवर, एनसी गर्ग, दीप्तिमान बोस, सिद्धार्थ मुखर्जी जसबीर सिंह खुराना मौजूद थे.

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