बालू घाट: सरकार को एडवांस राशि स्वीकार करने का निर्देश, नीलामी पर रोक से इनकार

रांची: हाइकोर्ट में बुधवार को झारखंड लघु खनिज पदार्थ समुदान नियमावली (संशोधित)-2014 के रूल 12 को लेकर दायर याचिका पर लंबी सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस पीपी भट्ट की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के स्पष्टीकरण को देखते हुए याचिका निष्पादित कर दी. सात मई को होनेवाली बालू […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 7, 2015 6:29 AM
रांची: हाइकोर्ट में बुधवार को झारखंड लघु खनिज पदार्थ समुदान नियमावली (संशोधित)-2014 के रूल 12 को लेकर दायर याचिका पर लंबी सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस पीपी भट्ट की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के स्पष्टीकरण को देखते हुए याचिका निष्पादित कर दी.
सात मई को होनेवाली बालू घाटों की नीलामी पर रोक लगाने से इनकार करते हुए खंडपीठ ने प्रार्थी को नीलामी में शामिल होने की छूट दी. राज्य सरकार को प्रार्थी के अग्रधन की राशि चेक के रूप में स्वीकार करने का निर्देश दिया. साथ ही राज्य सरकार को बुधवार को ही समाचार पत्रों व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में शुद्धि पत्र जारी करने का भी निर्देश दिया. इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा ने पक्ष रखते हुए कहा कि नियमावली की धारा 12 (1) एवं 12(2) असंवैधानिक है. इसमें पंचायत व नगरपालिका द्वारा बालू घाटों की नीलामी का प्रावधान किया गया है, जो सही नहीं है.

इसे निरस्त करने और सात मई को होनेवाली नीलामी की प्रक्रिया पर रोक लगाने का आग्रह किया. राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता अजीत कुमार ने प्रार्थी की दलील का विरोध करते हुए कहा कि पंचायत व नगरपालिका द्वारा शब्द को पंचायत व नगरपालिका के लिए पढ़ा जाये.

17 मार्च 2015 को राज्य सरकार ने अधिसूचना जारी की है, जिसमें कहा गया है कि पंचायत व नगरपालिका लाभुक हैं. उनके लिए उपायुक्त के स्तर पर बालू घाटों की नीलामी और बंदोबस्ती की जायेगी. गौरतलब है कि प्रार्थी महावीर इंफ्रा इंजीनियरिंग प्रालि ने याचिका दायर कर झारखंड लघु खनिज पदार्थ समुदान नियमावली (संशोधित) -2014 के रूल-12 (1) तथा 12(2) को चुनौती दी थी. सरकार ने इस रूल के माध्यम से बालू घाटों की नीलामी का अधिकार नगरपालिका व पंचायतों को दिया था.

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