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डीआइजी व एसपी की संलिप्तता की जांच शुरू

रांची : बोकारो में वर्ष 2008 और इसके पूर्व हुए कोयला तस्करी में बोकारो के तत्कालीन डीआइजी और एसपी की संलिप्तता की जांच निगरानी आइजी मुरारी लाल मीणा के निर्देश पर शुरू कर दी गयी है. आइजी ने अफसरों की संलिप्तता के संबंध में साक्ष्य एकत्रित करने की जिम्मेवारी निगरानी के प्रभारी एसपी आलोक कुमार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 9, 2015 8:29 AM
रांची : बोकारो में वर्ष 2008 और इसके पूर्व हुए कोयला तस्करी में बोकारो के तत्कालीन डीआइजी और एसपी की संलिप्तता की जांच निगरानी आइजी मुरारी लाल मीणा के निर्देश पर शुरू कर दी गयी है. आइजी ने अफसरों की संलिप्तता के संबंध में साक्ष्य एकत्रित करने की जिम्मेवारी निगरानी के प्रभारी एसपी आलोक कुमार को सौंपी है.
प्रभारी एसपी को निर्देश दिया गया है कि वह यह भी पता लगायें कि कोयला कारोबारियों को बचाने के लिए एसपी या डीआइजी स्तर से कनीय पुलिस अधिकारियों को कोई निर्देश भी दिये जाते थे. यदि निर्देश दिये जाते थे, तो इसका साक्ष्य क्या है. ज्ञात हो कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर कोयला तस्करी के मामले में फिर से जांच का आदेश दिया गया है.
जांच के दौरान निगरानी को कई बिंदुओं पर पुलिस की संलिप्तता के संबंध में तथ्य मिलने लगे हैं. प्रभारी एसपी ने पांच पन्नों की एक रिपोर्ट भी तैयार कर आइजी को दिखाया है. आइजी ने प्रभारी एसपी को मौखिक रूप से कई अन्य बिंदुओं पर भी जांच करने को कहा है.
आइजी ने यह भी निर्देश दिया है कि कोई सीनियर पुलिस पदाधिकारी दोषी हैं, तो उसके नाम का उल्लेख रिपोर्ट में होनी चाहिए.मजेदार बात है कि कोयला तस्करी मामले में प्राथमिकी पुलिस के बयान पर दर्ज है. लेकिन बाद में पुलिस ने केस में अंतिम रिपोर्ट साक्ष्य की कमी दिखाते हुए न्यायालय में भेज दी. केस में सुपरविजन रिपोर्ट निकालने की जिम्मेवारी डीएसपी रैंक के अफसर की होती है, जबकि रिपोर्ट टू एसपी निकालते हैं.
एसएसपी के आदेश पर ही आगे कार्रवाई होती है. कुछ ऐसे केस भी मिले हैं, जिनमें पुलिस ने केस दर्ज कर कथित कोयला कारोबारियों के खिलाफ साक्ष्य की कमी, असत्यापित या फरार दिखते हुए जांच बंद कर दी. केस में किस स्तर से गड़बड़ी हुई है, इसके लिए एसपी या डीएसपी दोषी हैं. इस संबंध में भी पड़ताल की जा रही है.

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