पेट्रोलियम डीलर एसोसिएशन से मिले आंकड़ों के अनुसार शहरी क्षेत्र में पेट्रोल की तुलना में डीजल की ज्यादा मांग हो रही है. बड़े शोरूमों में लाइट-एसी चलाने के लिए जेनरेटर का इस्तेमाल किया जा रहा है. मेन रोड व्यवसायी समिति के सुरेश मल्होत्र ने बताया कि बिजली के कारण धंधे चौपट हो रहे हैं. लागत बढ़ गयी है. जेनरेटर शुरू करने और बंद करने के लिए अतिरिक्त आदमी रखना पड़ रहा है. इधर, छोटी दुकानों में इंवर्टर के भरोसे ज्यादा देर तक काम नहीं हो पा रहा है. जिन दुकानों में एकाउंटिंग व बिलिंग का काम कंप्यूटर पर होता है, उन्हें सबसे ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
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बिजली संकट: रोजाना 2.35 लाख लीटर डीजल की अतिरिक्त खपत, प्रतिदिन 1.29 करोड़ अधिक हो रहे हैं खर्च
रांची: बिजली व्यवस्था चौपट होने से व्यवसायी जगत काफी परेशान है. दिन भर हो रही लोड शेडिंग के कारण व्यवसाय व उद्योग ठप पड़ते जा रहे हैं. शोरूम खुला रखने की मजबूरी में लागत बढ़ती जा रही है. डीजल की खपत रोजाना पांच प्रतिशत बढ़ गयी है, जिससे लोगों की जेब पर 1.29 करोड़ रुपये […]
रांची: बिजली व्यवस्था चौपट होने से व्यवसायी जगत काफी परेशान है. दिन भर हो रही लोड शेडिंग के कारण व्यवसाय व उद्योग ठप पड़ते जा रहे हैं. शोरूम खुला रखने की मजबूरी में लागत बढ़ती जा रही है. डीजल की खपत रोजाना पांच प्रतिशत बढ़ गयी है, जिससे लोगों की जेब पर 1.29 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है. राज्य में छोटे उद्योग बंदी की कगार पर पहुंच गये हैं. दुकानें जल्दी बंद हो रही हैं. यह स्थिति पिछले 15 दिनों से है.
डीजल की खपत बढ़ी
राजधानी समेत पूरे राज्य में डीजल की खपत बढ़ गयी है. जानकारी के अनुसार रोजाना 2.35 लाख लीटर डीजल की अतिरिक्त खपत हो रही है. इससे व्यवसायियों की जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है. अभी 54.69 रुपये प्रति लीटर डीजल की कीमत है. इस तरह 1.29 करोड़ रुपये अधिक का खर्च बढ़ गया है.
छोटे उद्योग पर असर
बिजली व्यवस्था का सबसे ज्यादा असर छोटे उद्योगों पर पड़ रहा है. तुपुदाना इंडस्ट्रीयल एरिया में तो लगभग सारे उद्योग बंद पड़े हैं. अब नामकुम में भी स्थिति चौपट होती जा रही है. राजधानी स्थिति अन्य उद्योगों का भी यही हाल है. लगातार हो रही लोड शेडिंग के कारण मशीनें बंद कर दी गयी हैं. इस कारण इन क्षेत्रों में काम कर रहे मजदूर भी काम के अभाव में बेरोजगार हो गये हैं. झारखंड स्मॉल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष शरद पोद्दार ने बताया कि हाल ही में ऊर्जा विभाग के अधिकारियों से मुलाकात कर स्थिति से अवगत कराया था, लेकिन अब तक कोई ठोस उपाय नहीं हो पाये हैं. बिजली गंभीर समस्या बन गयी है.
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