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छोटे अपराधों की रोकथाम जरूरी
मुख्य सचिव ने ऑनलाइन प्राथमिकी की शुरुआत पर दी पुलिस को बधाई, कहा रांची : मुख्य सचिव राजीव गौबा ने कहा है कि छोटे क्राइम की रोकथाम भी जरूरी है. क्योंकि, छोटे अपराध को नजरअंदाज करने से ही बड़ा अपराध होने लगता है. हमें जीरो टॉलरेंस के तहत काम करना होगा. उन्होंने कहा कि हमें […]
मुख्य सचिव ने ऑनलाइन प्राथमिकी की शुरुआत पर दी पुलिस को बधाई, कहा
रांची : मुख्य सचिव राजीव गौबा ने कहा है कि छोटे क्राइम की रोकथाम भी जरूरी है. क्योंकि, छोटे अपराध को नजरअंदाज करने से ही बड़ा अपराध होने लगता है. हमें जीरो टॉलरेंस के तहत काम करना होगा.
उन्होंने कहा कि हमें टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर पुलिस को बेहतर करना है. मुख्य सचिव ने ऑनलाइन प्राथमिकी की शुरुआत के लिए डीजीपी और उनकी टीम को बधाई दी. कहा कि पुलिस आधुनिकीकरण की योजनाओं को सरकार जारी रखेगी, लेकिन संसाधन उपलब्ध कराने का मकसद यह होता है कि कानून-व्यवस्था का राज हो.
सीएस ने कहा कि लोगों की अपेक्षाएं बहुत ज्यादा नहीं है. लोग यह नहीं मानते हैं कि अपराध होगी ही नहीं, इतना जरूर चाहते हैं कि जब अपराध हो और वह थाना में जाये, तो उनकी शिकायत सुनी जाये. जांच कर दोषी के खिलाफ कार्रवाई हो. हमें यही करना है और लोगों की अपेक्षा पर खरा उतरना है.
मुख्य सचिव ने दूसरे राज्यों की पुलिस का जिक्र करते हुए कहा कि केरल में नया पुलिस सिस्टम शुरू हुआ है. हम उसे अपना सकते हैं. सूरत शहर में भी कम्युनिटी पुलिसिंग के तहत कई काम हुए हैं. हम उन्हें अपना सकते हैं. टैक्सी ड्राइवरों का इस्तेमाल इंटेलिजेंस के लिए करने के भी उदाहरण हैं.
घायलों को समय पर अस्पताल पहुंचाना बड़ा काम : सुमन: रांची जोन के आइजी सुमन गुप्ता ने कहा कि एनएच-33 न सिर्फ अपराध की वजह से संवेदनशील है, बल्कि दुर्घटना भी बहुत होती है. हाइवे पेट्रोलिंग व एंबुलेंस सेवा शुरू होने से हम घायलों को कम समय में ट्रॉमा सेंटर तक पहुंचा पायेंगे. यह बड़ा काम होगा.
गांव के लोग भी कर सकते हैं ऑनलाइन प्राथमिकी : डुंगडुंग
सीआइडी के एडीजी रेजी डुंगडुंग ने कहा कि गांव के लोग भी प्रज्ञा केंद्र के माध्यम से ऑनलाइन प्राथमिकी दर्ज करा सकते हैं. पायलट प्रोजेक्ट के रूप में अभी सिर्फ 10 थानों (रांची के कोतवाली, जगन्नाथपुर व ओरमांझी, जमशेदपुर के सोनारी, कदमा और पोटका, बोकारो के बोकारो स्टील सिटी थाना व गोमिया, धनबाद में धनबाद व कतरास थाना) में इसकी शुरुआत की गयी है.
जल्द ही राज्य के हर थानों में ऑनलाइन प्राथमिकी दर्ज करने की सुविधा राज्य के लोगों को मिलेगी. उन्होंने उम्मीद जताया कि इसके शुरू होने से पुलिस के पास घरेलू हिंसा की शिकायतें भी पहुंचने लगेगी. अभी तक राज्य पुलिस डोमेस्टिक व्यालेंस एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज नहीं करती है.
शहरी क्षेत्र में पुलिस को पिस्तौल दी जायेगी: पाल्टा
एडीजी ट्रेनिंग व आधुनिकीकरण अनिल पाल्टा ने समारोह में बताया कि 850 पिस्तौल की खरीद की गयी है. इसके वितरण में शहरी क्षेत्र को प्राथमिकता दी जायेगी. शहर के पुलिसकर्मियों को बड़े हथियार की जरूरत नहीं है.
इससे डर पैदा होता है. उन्होंने कहा कि पिछले साल 62 चार पहिया वाहन खरीदे गये थे. इस वर्ष 23 करोड़ की लागत से वाहनों की खरीद की जानी है. रांची शहरी क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरा लगाने की रूप-रेखा तैयार कर ली गयी है. इस वर्ष के अंत तक काम समाप्त कर लेने का लक्ष्य रखा गया है. इसके बाद बोकारो, जमशेदपुर व धनबाद में सीसीटीवी लगाने का काम शुरू किया जायेगा.
वह समय जरूर आयेगा, जब अपराधी डरेंगे: एनएन पांडेय
समारोह में गृह सचिव ने कहा कि झारखंड में पुलिस के लिए बहुत सारी चुनौतियां हैं. लेकिन हम प्रतिबद्ध हैं कि सीएम की अपेक्षाओं पर खरा उतरेंगे. वह समय जरूर आयेगा, जब झारखंड पुलिस से अपराधी डरेंगे.
लोग थाना में जायेंगे और महसूस करेंगे कि वहां उनका स्वागत हुआ है. गृह सचिव ने कहा कि सीएम के प्रयास से इंस्पेक्टर रैंक के पदाधिकारियों को डीएसपी रैंक में प्रोन्नति दी गयी है. उन्होंने एएसआइ के 800 पदों के सृजन की मांग को भी मंजूरी दी है.
10 हजार सिपाही को ट्रेनिंग देने की व्यवस्था हो : प्रधान
एडीजी अभियान एसएन प्रधान ने कहा कि राज्य में 70 हजार फोर्स है. सामान्य परिस्थिति में 15 प्रतिशत पुलिसकर्मियों को हर वक्त ट्रेनिंग दी जानी चाहिए. इस तरह 10 हजार जवान हमेशा प्रशिक्षण में होने चाहिए.
श्री प्रधान ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि जैप के सभी बटालियनों को ट्रेनिंग सेंटर अधिसूचित कर जवानों को लगातार प्रशिक्षण देने की व्यवस्था की जाये. उन्होंने आइटी के इस्तेमाल का जिक्र करते हुए कहा कि हर थाने में कंप्यूटर के पांच जानकारों का होना जरूरी है.
इसके लिए अलग से नियुक्ति की जा सकती है या जो फोर्स है, उनमें से ही ले लिया जाये. उन्होंने सुझाव दिया कि कंप्यूटर में डिप्लोमा करने वाले सभी पुलिसकर्मी को एक इंक्रीमेंट देकर पुलिसकर्मियों को कंप्यूटर फ्रेंडली बनाया जा सकता है.
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