भारत के प्रस्ताव से उत्सर्जन 64 फीसदी होगा कम

नयी दिल्ली. ग्रीनहाउस गैस उर्त्सजन को कम करने के लिए मांट्रियल संधि पर भारत के संशोधन प्रस्तावों से प्रमुख प्रदूषणकारी गैस हाइड्रोफ्लोरोकार्बन के स्तर में 2050 तक 64 प्रतिशत कमी आ सकती है. एक शोध संस्थान ने यह बात कही है. ओजोन परत को बचाने और प्रदूषण बढ़ानेवाली हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (एचएफसी) की खपत और उत्सर्जन कम […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 29, 2015 9:04 PM

नयी दिल्ली. ग्रीनहाउस गैस उर्त्सजन को कम करने के लिए मांट्रियल संधि पर भारत के संशोधन प्रस्तावों से प्रमुख प्रदूषणकारी गैस हाइड्रोफ्लोरोकार्बन के स्तर में 2050 तक 64 प्रतिशत कमी आ सकती है. एक शोध संस्थान ने यह बात कही है. ओजोन परत को बचाने और प्रदूषण बढ़ानेवाली हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (एचएफसी) की खपत और उत्सर्जन कम करने के उद्देश्य से तैयार की गयी अंतरराष्ट्रीय मांट्रियल संधि के लिए भारत ने हाल ही में अपने संशोधन प्रस्ताव दिये हैं.काउंसिल ऑन एनर्जी, इनवायरमेंट एंड वाटर (सीइइडब्ल्यू) की सीइओ अरुणाभ घोष ने यहां कहा कि भारत ने प्रस्ताव किया है कि मांट्रियल संधि में एचएफसी में चरणबद्ध कमी लाने के लिए बातचीत की जा सकती है. यदि भारतीय संशोधन प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया जाता है, तो विश्लेषकों का मानना है कि 2010 से 2050 के बीच 4.2 गीगाटन कार्बनडाईऑक्साइड को रोका जा सकता है. जो कि 2010 से 2050 के बीच निकलने वाली एचएफसी का 64 प्रतिशत होगा. सीइइडब्ल्यू और प्राकृतिक संसाधन सुरक्षा परिषद की यहां एक बैठक बुलायी गयी, जिसमें इन संशोधन पर विचार और भविष्य की कार्ययोजना पर चर्चा की गयी.

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