लैपरोस्कोपिक पद्धति से ऑपरेशन पर कार्यक्रम आज

रांची : लैपरोस्कोपिक पद्धति से पित्त की थैली (गॉल ब्लाडर) के ऑपरेशन की रजत जयंती पर 31 मई को मंुबई में विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. डॉ सतीश मिढ़ा ने जानकारी दी कि 25 वर्ष पहले 31 मई 1990 को मंुबई के डॉ जे उडवाडिया ने पहला लैपरोस्कोपिक ऑपरेशन सफलता पूर्वक किया […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 30, 2015 10:04 PM

रांची : लैपरोस्कोपिक पद्धति से पित्त की थैली (गॉल ब्लाडर) के ऑपरेशन की रजत जयंती पर 31 मई को मंुबई में विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. डॉ सतीश मिढ़ा ने जानकारी दी कि 25 वर्ष पहले 31 मई 1990 को मंुबई के डॉ जे उडवाडिया ने पहला लैपरोस्कोपिक ऑपरेशन सफलता पूर्वक किया था. डॉ उडवाडिया को बारत में फादर ऑफ लैपरोस्कोपी कहा जाता है. तकनीक एवं उपकरणों में सुधार के कारण आज जटिल से जटिल ऑपरेशन लैपरोस्कोपिक पद्धति द्वारा संपन्न हो रहे हैं. इस पद्धति में पेट में दो से चार स्थानों पर 5-10 एमएम के छिद्र कर ऑपरेशन किये जाते हैं. इसमें मरीज को कम तकलीफ होती है एवं दो तीन दिन में छुट्टी मिल जाती है.

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