नागर विमानन विभाग को बंद कर दे सरकार

अपर मुख्य सचिव सजल चक्रवर्ती ने कहा रांची : पूर्व मुख्य सचिव व नागर विमानन विभाग के अपर मुख्य सचिव सजल चक्रवर्ती ने सरकार से नागर विमानन विभाग को बंद करने की मांग की है. इस बाबत उन्होंने एक पीत पत्र भी मुख्यमंत्री को भेजा है. कहा है कि यदि विभाग को चलाना है तो […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 16, 2015 5:38 AM
अपर मुख्य सचिव सजल चक्रवर्ती ने कहा
रांची : पूर्व मुख्य सचिव व नागर विमानन विभाग के अपर मुख्य सचिव सजल चक्रवर्ती ने सरकार से नागर विमानन विभाग को बंद करने की मांग की है. इस बाबत उन्होंने एक पीत पत्र भी मुख्यमंत्री को भेजा है. कहा है कि यदि विभाग को चलाना है तो बेहतर तरीके से सरकार चलाये नहीं तो इसे बंद कर देना बेहतर होगा.
श्री चक्रवर्ती सोमवार को अपना इलाज कराने मुंबई चले गये. मुंबई जाने से पूर्व पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि इस विभाग में सब कुछ भाड़े पर चलता है. न जहाज है न कप्तान. एक हेलीकॉप्टर तक अपना नहीं है. सरकार को कई बार हेलीकॉप्टर खरीदने की अनुशंसा की गयी है, पर सरकार भाड़े पर ही हेलीकॉप्टर चलवा रही है. 15 सालों से ऐसा ही हो रहा है.
गौरतलब है कि सरकार हर साल हेलीकॉप्टर के भाड़े पर पांच करोड़ रुपये खर्च करती है. जबकि एक डबल इंजन हेलीकॉप्टर की कीमत 70 करोड़ रुपये होती है. 15 वर्षो में सरकार हेलीकॉप्टर के भाड़े के एवज में लगभग 70 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है.
लालफीताशाही हावी है
श्री चक्रवर्ती ने कहा कि आखिर कब तक भाड़े पर हेलीकॉप्टर चलता रहेगा. पिछली सरकार में विभाग के लिए 160 करोड़ रुपये बजट का प्रावधान था. यह राशि मार्च के अंतिम सप्ताह में आवंटित की गयी और 31 मार्च को इसे सरेंडर करना पड़ा. पीएल एकाउंट में रखने का आग्रह किया गया था, पर सरकार नहीं मानी. राज्य में पूरी तरह लालफीताशाही हावी है.
जिलों में हवाई पट्टी जजर्र स्थिति में है. कोई भी छोटा विमान नहीं उतर सकता. रनवे का विस्तारीकरण नहीं हो सका है. जब ये सब छोटे-छोटे काम विभाग नहीं कर सकता तो फिर इस विभाग का मतलब ही क्या है.
श्री चक्रवर्ती ने बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री को पीत पत्र लिख दिया है. अब मुख्यमंत्री जाने क्या करना है. श्री चक्रवर्ती ने कहा कि जैसे कार्मिक व कैबिनेट विभाग भाड़े पर गाड़ी लेकर देती है, उसी तरह इस विभाग को बंद कर देना चाहिए और कार्मिक विभाग ही भाड़े पर हेलीकॉप्टर लेकर सरकार को दे.

Next Article

Exit mobile version