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Ranchi: स्पीड मापने वाले वाहन इंटरसेप्टर पर खर्च 48 लाख, कमाई मात्र 1.80 लाख

इंटरसेप्टर ( अर्टिका कार में) से मुख्य रूप से हाइवे पर ओवर स्पीड की मापी की जाती है. इन दोनों इंटरसेप्टर पर सरकार द्वारा हर माह 48 लाख रुपये खर्च किया जाता है. लेकिन इससे रांची ट्रैफिक पुलिस द्वारा एक दिन में 30 चालान यानि 60 हजार के हिसाब से हर माह मात्र 1.80 लाख रुपये का चालान काटा जा रहा है.

रांची, अजय दयाल. राजधानी और आसपास में दो इंटरसेप्टर (स्पीड लेजर गन) वाहन कार्यरत हैं. दोनों वाहनों में स्पीड लेजर गन के साथ मॉनिटर और मशीन लगी है. इस स्पीड लेजर गन से वाहनों की गति सीमा मापी जाती है. सड़क में अधिक गति से वाहन चलाते पाये जाने पर वाहन का ऑन स्पॉट चालान काट दिया जाता है. इसके बाद संबंधित वाहन मालिकों को उनके पते अथवा मोबाइल पर चालान भेजा जाता है. इंटरसेप्टर ( अर्टिका कार में) से मुख्य रूप से हाइवे पर ओवर स्पीड की मापी की जाती है. इन दोनों इंटरसेप्टर पर सरकार द्वारा हर माह 48 लाख रुपये खर्च किया जाता है. लेकिन इससे रांची ट्रैफिक पुलिस द्वारा एक दिन में 30 चालान यानि 60 हजार के हिसाब से हर माह मात्र 1.80 लाख रुपये का चालान काटा जा रहा है. जबकि एक इंटरसेप्टर सीएम हाउस तथा राजभवन के बीच लगा रहता है, इससे चालान नहीं काटा जाता है.

इंटरसेप्टर द्वारा गति सीमा का उल्लंघन करने वाले भारी वाहनों से 2000 व कार व बाइक (लाइट मोटर व्हीकल) से एक हजार रुपये का चालान काटा जाता है. संयुक्त परिवहन आयुक्त प्रदीप कुमार ने बताया कि एक इंटरसेप्टर की कीमत 22 लाख है, उससे हर दिन कम से कम 100 चालान आसानी से काटा जा सकता है. एक इंटरसेप्टर में पुलिस विभाग के एक पदाधिकारी सहित तीन पुलिसकर्मी कार्यरत रहते हैं. उनमें एक चालक ( वेतन 45 हजार औसतन), एक तकनीकी सिपाही (वेतन 50 हजार औसतन), एक एएसआइ ( वेतन 65 हजार औसतन) इस प्रकार तीनों कर्मियों का वेतन लगभग दो लाख होता है.

स्मार्ट सिटी की ओर से शहर के 10 स्थानों पर लगाये गये हैं कैमरे

स्मार्ट सिटी द्वारा शहर के दस स्थानों पर स्पीड मापने वाला कैमरा लगाया है. यह कैमरा रांची कॉलेज प्ले ग्राउंड से स्टेट गेस्ट हाउस के बीच, धुर्वा गोलचक्कर से शहीद मैदान के बीच, हिनू से एयरपोर्ट के बीच, पिस्का मोड़ से रवि स्टील के बीच, रातू में तिलता चौक के पास, रामपुर तीन मुहानी चौक से रांची इंटर करने वाले रास्ते में, खरसीदाग से रांची रिंग रोड के बीच, डिबडीह ब्रिज से सेटेलाइट चौक के बीच, कांके रिंग रोड से बीएयू के बीच, मेसरा रेलवे ओवरब्रिज से गेटर डीपीएस के बीच लगाया गया है. कंट्रोल रूम से भी ओवर स्पीड में जाने वाले वाहनों का चालान काटा जा सकता है.

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कैसे काम करता है इंटरसेप्टर

इंटरसेप्टर (स्पीड लेजर गन) हाइवे में किनारे लगा दिया जाता है. कैमरा को वाहनों की ओर कर दिया जाता है. साथ ही वाहन के अंदर लगी मशीन और मॉनिटर पर तकनीकी कर्मी गति सीमा देखता है़ गति सीमा अधिक पाये जाने पर उस मशीन से तुरंत चालान काट दिया जाता है. इंटरसेप्टर वाहन का वीडियो भी बना लेता है. आवश्यकता पड़ने पर उसे वाहन चालकों को सबूत के तौर पर दिया जा सकता है. इंटरसेप्टर पर लगा कैमरा 360 डिग्री के एंगल में घूम सकता है, जिससे किसी भी वाहन के ओवर स्पीड को मापा जा सकता है.

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