17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

सैंया भये कोतवाल करती है व्यवस्था पर चोट

फोटो….फोल्डर…मेंरांची. व्यंग्यकार कहते हैं कि ऊंची कुरसी पर बैठे लोगों की समझ थोड़ी कम हो जाती है. जब तक उनकी खुद की बड़ी क्षति नहीं होती, तब तक उन्हें समझ नहीं आता कि व्यवस्था में गड़बड़ी है. तत्कालीन व्यवस्था की गड़बड़ी की पोल खोलता है मराठी लेखक बसंत स्वप्निल का लिखा नाटक सैंया भये कोतवाल. […]

फोटो….फोल्डर…मेंरांची. व्यंग्यकार कहते हैं कि ऊंची कुरसी पर बैठे लोगों की समझ थोड़ी कम हो जाती है. जब तक उनकी खुद की बड़ी क्षति नहीं होती, तब तक उन्हें समझ नहीं आता कि व्यवस्था में गड़बड़ी है. तत्कालीन व्यवस्था की गड़बड़ी की पोल खोलता है मराठी लेखक बसंत स्वप्निल का लिखा नाटक सैंया भये कोतवाल. इस नाटक का मंचन रविवार को कृष्ण कांति कला भवन में किया गया. मूलत: मराठी भाषा का यह नाटक मराठी की तमाशा शैली का उदाहरण है. इस नाटक का हिंदी अनुवाद उषा बनर्जी ने किया है. वहीं निर्देशन अनिल ठाकुर का है.यह नाटक पूरी तरह से व्यवस्था पर चोट है. इसकी कहानी बताती है कि जब राजा का पलंग गायब होता है, तब उसे समझ में आता है कि व्यवस्था में गड़बड़ी है. नाटक मंचन में हवलदार का किरदार सुकुमार मुखर्जी, मैनावति सरोज झा, राजा फजल इमाम, प्रधान अनिल ठाकुर, साख्या अवधेश कुमार, सिपाही दीपक चौधरी, शहर का कोतवाल डॉ कमल बोस ने निभाया. नाटक में संगीत शशि, अमित व जयराम की है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें