कानून को नजरअंदाज कर हो रहा है विधानसभा का निर्माण: बाबूलाल मरांडी

रांची: झाविमो अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि विधानसभा चहारदीवारी का निर्माण राज्य सरकार कानून को नजरअंदाज कर कर रही है. राज्य सरकार विधानसभा निर्माण में हड़बड़ी कर रही है. पहले विस्थापितों को विश्वास में लेना चाहिए था. सरकार को एचइसी से नहीं रैयतों से जमीन लेनी चाहिए थी. सरकार पहले रैयतों को मुआवजा दे, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 22, 2015 6:24 AM
रांची: झाविमो अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि विधानसभा चहारदीवारी का निर्माण राज्य सरकार कानून को नजरअंदाज कर कर रही है. राज्य सरकार विधानसभा निर्माण में हड़बड़ी कर रही है. पहले विस्थापितों को विश्वास में लेना चाहिए था. सरकार को एचइसी से नहीं रैयतों से जमीन लेनी चाहिए थी. सरकार पहले रैयतों को मुआवजा दे, उनका पुनर्वास करे, उसके बाद विधानसभा का निर्माण करे. उक्त बातें श्री मरांडी ने रविवार को कुटे में एचइसी हटिया विस्थापित परिवार समिति द्वारा प्रतिरोध अधिवेशन में कही.
उन्होंने कहा कि वह विस्थापितों के साथ हैं. यह लड़ाई केवल एचइसी के विस्थापितों की नहीं है. यह लड़ाई पूरे राज्य में लड़ी जायेगी. एक-दो दिन में राज्यपाल से समय लेकर उन्हें वस्तु स्थिति से अवगत करायेंगे. पूर्व विधायक बंधु तिर्की ने कहा कि विस्थापित विधानसभा निर्माण का विरोध नहीं कर रहे हैं, लेकिन सरकार उन्हें मुआवजा दे और पुनर्वास करे. राज्य सरकार विस्थापितों का जमीन जबरन लेना चाहती है. जिसे किसी भी हाल में पूरा नहीं होने दिया जायेगा. विस्थापित प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मिल कर वस्तु स्थिति की जानकारी देगा. सामाजिक कार्यकर्ता वासवी किड़ो ने कहा कि लारा कानून 2013 के तहत जमीन रैयतों की है. सरकार बल प्रयोग कर विधानसभा का निर्माण करने का प्रयास कर रही है. जिसे कभी पूरा नहीं होने दिया जायेगा. विस्थापित न्याय के लिए सुप्रीम कोर्ट तक जायेंगे.
सीपीआइ के राज्य सचिव केडी सिंह ने कहा कि सरकार रैयतों की भूमि उद्योगपतियों को देना चाहती है. राज्य सरकार कानून का पालन नहीं करेगी तो पूरे राज्य में आंदोलन किया जायेगा. हटिया विधायक नवीन जायसवाल ने कहा कि विस्थापितों के साथ न्याय होगा. वह विस्थापितों की मांग को मुख्यमंत्री के समक्ष रखेंगे. अधिवेशन को आरजेडी के कैलाश यादव, मनोहर यादव, दीपक दास, संदीप उरांव ने भी संबोधित किया. इस अवसर पर राहुल उरांव, प्रेम प्रकाश शाहदेव, मनोज उरांव, कृष्णा मिर्घा, बैजनाथ मुंडा, शनि लोहरा, रोशन उरांव, कृष्णा उरांव, दिलीप सिंह, महेंद्र मिर्घा, विनय नायक, दीपक, बेंजामिन लिंडा, शंभु उरांव, रमेश उरांव, राजन, लक्ष्मी देवी सहित दर्जनों विस्थापित उपस्थित थे.

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