ग्राउंड व टॉप फ्लोर का रजिस्ट्रेशन शुल्क समान

रांची: झारखंड स्टांप मैनुअल के तहत सरकार ने शहर की प्रोपर्टी को सिर्फ दो हिस्सों में बांटा है आवासीय और व्यावसायिक. व्यावसायिक भवनों में स्थित इकाई का वर्गीकरण नहीं किया गया है, जबकि बाजार में व्यावसायिक प्रॉपर्टी को खरीदते समय जनता को ग्राउंड फ्लोर स्थित सामने की दुकान की कीमत अलग चुकानी होती है. वहीं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 22, 2015 6:34 AM
रांची: झारखंड स्टांप मैनुअल के तहत सरकार ने शहर की प्रोपर्टी को सिर्फ दो हिस्सों में बांटा है आवासीय और व्यावसायिक. व्यावसायिक भवनों में स्थित इकाई का वर्गीकरण नहीं किया गया है, जबकि बाजार में व्यावसायिक प्रॉपर्टी को खरीदते समय जनता को ग्राउंड फ्लोर स्थित सामने की दुकान की कीमत अलग चुकानी होती है. वहीं पीछे की दुकान और ऊपरी तल्ले (पांचवें/छठे) के कार्यालय की सामने वाली कीमत दुकान के मुकाबले काफी कम है. परंतु सरकार ने दुकान और कार्यालय का सर्किल रेट अलग-अलग नहीं कर सभी का सर्किल रेट दुकान की तर्ज पर निर्धारित किया है. इससे जनता को अतिरिक्त शुल्क चुकाना पड़ रहा है. यह विवाद अब झारखंड हाइकोर्ट पहुंच गया है.
इसको लेकर कंफेडरेशन ऑफ रियल इस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन (क्रेडाई) की ओर से झारखंड हाइकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी है. इसमें सरकार की ओर से रियल इस्टेट के लिए तय की गयी कर प्रणाली के कई प्रावधानों को अव्यावहारिक बताते हुए इसे निरस्त करने का आग्रह किया गया है. याचिका में दोहरी स्टांप ड्यूटी व बिहार स्टांप मैनुअल में किये गये संशोधन पर आपत्ति जताते हुए इसे निरस्त करने का आग्रह किया गया है.
अधिसूचना से बदला गया बिहार स्टांप मैनुअल
झारखंड सरकार की ओर से अधिसूचना निकाल कर बिहार स्टांप मैनुअल में किये गये संशोधन को भी याचिका में अव्यावहारिक बताया गया है. कहा गया है कि पहले सर्किल रेट के लिए शहर की सड़कों को पांच हिस्सों में बांट कर दर तय की जाती थी. इसमें प्रमुख (प्रिंसिपल) रोड, मुख्य (मेन) रोड, शाखा (ब्रांच) रोड, लेन-सब लेन और कच्ची सड़क का जिक्र था. लेकिन झारखंड सरकार ने अधिसूचना के माध्यम से इसे दो हिस्सों में बांट दिया है इसे मुख्य रोड और अन्य रोड में बांटा गया है. इससे प्रोपर्टी खरीदने वाले पर ज्यादा बोझ पड़ रहा है. इससे उदाहरण के माध्यम से समझा जा सकता है जैसे रांची में मेन रोड को प्रिंसिपल रोड के रूप रखा गया था. पहले पीपी कंपाउंड को मेन रोड में रखा जाता था.
वहीं गुरुनानक स्कूल की तरफ मुड़ने वाली सड़क ब्रांच रोड थी. इससे अंदर जाने पर लेन-सब लेन और कच्ची सड़क का प्रावधान था. पहले इन पर प्रोपर्टी खरीदने पर अलग-अलग सर्किल रेट लगता था. लेकिन सरकार की ओर से किये गये संशोधन से अब पीपी कंपाउंड की पहली प्रोपर्टी और हिंदपीढ़ी के अंदर की प्रोपर्टी पर समान रेट लग रहा है, जो अव्यावहारिक है.
जनता को चुकानी पड़ रही दोहरी स्टांप डय़ूटी
याचिका में कहा गया है कि सरकार की ओर से प्रोपर्टी के रजिस्ट्रेशन पर दोहरी स्टांप ड्यूटी ली जा रही है. रियल स्टेट कारोबारियों का कहना है कि सभी क्षेत्रों में निर्माण का खर्च समान आता है. सरकार ने जमीन और प्रोपर्टी निर्माण की दर अलग-अलग तय की है. जैसे मेन रोड की प्रोपर्टी की कीमत ज्यादा, तो हरमू रोड की कीमत कम होती है. चूंकि मेन रोड की जमीन की कीमत ज्यादा है एवं हरमू रोड के जमीन की कीमत कम है. इस वजह से मेन रोड में निर्मित प्रोपर्टी का सर्किल रेट ज्यादा है. इसमें जमीन का मूल्य जुड़ा हुआ है. मगर फ्लैट/दुकान/कार्यालय की रजिस्ट्री कराते समय सरकार प्रोपर्टी के सर्किल रेट के अलावा जमीन का भी रजिस्ट्रेशन फीस वसूल रही है. ऐसे में जनता को दोहरी स्टांप ड्यूटी का भुगतान करना पड़ रहा है.

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