रांची : झारखंड में सत्ताधारी भाजपा की सहयोगी ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) ने आज अपने कार्यकारी अध्यक्ष एवं लोहरदगा से विधायक कमल किशोर भगत और उनके एक सहयोगी को चिकित्सक पर हमले के मामले में सात वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाये जाने पर आरोप लगाया कि उन्हें फंसाया गया है और उनके साथ न्याय करने के लिए पूरे मामले की एक बार फिर से विशेष जांच दल (एसआइटी) गठित कर जांच करवायी जाये. आजसू के मुख्य प्रवक्ता डॉ. देवशरण भगत ने आज यहां एक संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया कि चिकित्सक के. के. सिन्हा पर हमले का फर्जी मामला बनाकर उनकी पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष और विधायक कमल किशोर भगत को फंसाया गया है.
जबकि इसी घटना में आज्सू के तत्कालीन उपाध्यक्ष सुदर्शन भगत की हत्या और कमल किशोर भगत एवं ए. बोदरा की बेरहमी से पिटाई से संबन्धित मामले को दबा दिया गया. उन्होंने राज्य सरकार से मांग की कि पूरे मामले की नये सिरे से विशेष जांच दल (एसआइटी) गठित कर जांच करवायी जाये जिससे उनके कार्यकारी अध्यक्ष को न्याय मिल सके. यह पूछने पर कि सरकार में होते हुए आजसू ने पूरे मामले की फिर से जांच करवाने की मांग पहले क्यों नहीं की? देवशरण भगत ने कहा कि उनकी पार्टी को विश्वास था कि अदालत से उनके साथ न्याय होगा.
डॉ. देवशरण भगत ने कहा कि पार्टी न्याय पाने के लिए अदालत के आज के फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील करेगी. अदालत के फैसले के बाद लोहरदगा विधानसभा सीट से कमल किशोर भगत की सदस्यता समाप्त होने के बारे में पूछने पर प्रवक्ता ने कहा कि पार्टी की केंद्रीय कोर कमिटी की बैठक में इस बारे में विचार कर आगे की रणनीति बनायी जायेगी. इससे पूर्व आज आजसू के लोहरदग्गा से विधायक कमल किशोर भगत और उनके एक सहयोगी को 22 वर्षों बाद एक चिकित्सक पर हमले के मामले में सात वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनायी गयी.
रांची के अतिरिक्त न्यायायुक्त कृष्ण कुमार की अदालत ने 1993 में प्रसिद्ध मनोचिकित्सक के. के. सिन्हा पर हमले और उनसे अवैध वसूली के लिए उन्हें धमकाने के मामले में कल आजसू के लोहरदगा विधायक कमल किशोर भगत और ए बोदरा को दोषी करार दिया था. दोनों को आज सात-सात वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनायी गयी. भगत प्रारंभ में ही लगभग दो वर्षों तक न्यायिक हिरासत में रह चुके हैं लिहाजा अब उन्हें जेल में करीब पांच वर्ष और काटने होंगे. अदालत द्वारा कल दोषी करार दिये जाने के बाद विधायक भगत और बोदरा को हिरासत में लेकर जेल भेज दिया गया था. दोनों को चिकित्सक पर हमले के मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 307, 325, 387 एवं 448 के तहत दोषी करार दिया गया.