कबायली लड़कियों को पैतृक संपत्ति में अधिकार दिलानेवाली महिला
नाम है रतन मंजरी.एजेंसियां, शिमलाहिमाचल प्रदेश के जनजातीय क्षेत्र किन्नौर जिले के रिब्बा गांव में जन्मी रतन मंजरी अब अपने अंजाम पर पहुंची हैं. दरअसल रतन मंजरी नामक महिला ने आज तक शादी नहीं की. आपको बता दें कि 21 साल की आयु में ही रतन मंजरी ने महिलाओं की हालत को देखते हुए इनके […]
नाम है रतन मंजरी.एजेंसियां, शिमलाहिमाचल प्रदेश के जनजातीय क्षेत्र किन्नौर जिले के रिब्बा गांव में जन्मी रतन मंजरी अब अपने अंजाम पर पहुंची हैं. दरअसल रतन मंजरी नामक महिला ने आज तक शादी नहीं की. आपको बता दें कि 21 साल की आयु में ही रतन मंजरी ने महिलाओं की हालत को देखते हुए इनके सम्मान की जंग शुरू कर दी थी. इसके बाद स्थानीय विधायक से लेकर देश के राष्ट्रपति तक महिलाओं के पैतृक अधिकार का मामला उठाया.बताया जा रहा है कि रतन मंजरी का जन्म कर्नल पीएन नेगी के घर पर हुआ था. 62 साल की मंजरी, 5 बार रिब्बा पंचायत की प्रधान और इतनी ही बार जिला परिषद की सदस्य रह चुकी हैं. इस आंदोलन के जुनून में उन्होंने अब तक शादी तक नहीं की. जानकारी के मुताबिक हाइकोर्ट ने गुरुवार को को कबायली इलाकों की लड़कियों को भी पिता की संपत्ति पर हक को लेकर फैसला सुनाया. अदालत ने हिंदू अधिनियम के प्रावधानों को स्पष्ट करते हुए कहा कि कबायली लड़कियों का भी पैतृक संपत्ति में हक है.यह था मामला किन्नौर और लाहौल का कानून देश के कानून से अलग है. यह दोनों जिले मंडी लोकसभा क्षेत्र में आते हैं. जहां पूरे देश में महिलाओं को पैतृक संपत्ति का अधिकार है, लेकिन यहां की महिलाओं को इस 21 वीं सदी में भी इस अधिकार से दूर रखा गया है. यहां महिलाओं का अपनी पैतृक संपत्ति पर अधिकार नहीं है.कोर्ट के फैसले की प्रति का इंतजाररतन मंजरी ने उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि इससे दोनों जिलों की महिलाओं को पैतृक संपत्ति में अधिकार मिल सकेगा. रतन ने कहा कि वह कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रही है. उन्होंने कहा कि जब परिवार बंटने लगे तो यह मामला ध्यान में आया और इसको लेकर जंग शुरू की.