संस्था दक्ष की रिपोर्ट : 57 साल से हो रही है सुनवाई

सबसे अधिक दिनों से लंबित मुकदमा झारखंड हाइकोर्ट में सतीश कुमार रांची : देश की अदालतें लंबित मामलों के बोझ तले दबी हुई हैं. झारखंड हाइकोर्ट भी इससे अछूता नहीं है. रूल ऑफ लॉ की रिसर्च में लगी बेंगलुरु की संस्था दक्ष के अनुसार, देश में सबसे अधिक दिनों से लंबित मुकदमों में एक पर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 4, 2015 6:15 AM
सबसे अधिक दिनों से लंबित मुकदमा झारखंड हाइकोर्ट में
सतीश कुमार
रांची : देश की अदालतें लंबित मामलों के बोझ तले दबी हुई हैं. झारखंड हाइकोर्ट भी इससे अछूता नहीं है. रूल ऑफ लॉ की रिसर्च में लगी बेंगलुरु की संस्था दक्ष के अनुसार, देश में सबसे अधिक दिनों से लंबित मुकदमों में एक पर आज भी झारखंड हाइकोर्ट में सुनवाई हो रही है. कंपनी विवाद से संबंधित यह मुकदमा 57 साल में भी नहीं सुलझ पाया है. देश के 10 हाइकोर्ट पर अध्ययन करनेवाली संस्था दक्ष की रिपोर्ट के अनुसार, पटना में मई 1970, गुजरात में दिसंबर 1980, कर्नाटक में जनवरी 1985 व हैदराबाद में जुलाई 1989 से मामले लंबित हैं.
छह जनवरी 1958 को दायर हुई थी याचिका : छोटानागपुर बैंकिंग एसोसिएशन ने छह जनवरी 1958 को तत्कालीन पटना हाइकोर्ट के रांची बेंच में याचिका दायर की थी. हाइकोर्ट में छोटानागपुर बैंकिंग कंपनी के बंद करने के आदेश के बाद से डिपोजिटर के दावों पर बहस हो रही है. इस मामले की सुनवाई करनेवाले कई जज रिटायर हो चुके हैं. पहले जज कुलवंत सहाय वर्षो पूर्व रिटायर हो गये.
जज आरके मेरिठया 17 अगस्त 2012 को रिटायर हुए. पैरवी करनेवाले वकील भी बदल गये. इसके बावजूद अब भी इस मुकदमे में तारीख पर तारीख पड़ रही है. ऑफिशियल लिक्विडेटर अब भी सुनवाई के दौरान उपस्थित होकर अपना पक्ष रख रहे हैं. 22 जून को यह मामला जस्टिस डीएन पटेल की अदालत में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध था. पिछले 57 साल से चल रहे इस मुकदमे में करीब 150 तिथियों पर सुनवाई हुई. अदालत ने पांच दर्जन से अधिक बार आदेश दिये हैं.
कंपनी को बंद करने का दिया था आदेश : बैंकिंग एसोसिएशन ने याचिका में बैंकिंग कंपनीज एक्ट की धारा 37 के तहत कंपनी को बंद करने के आदेश को स्थगित करने का आग्रह किया था. पटना हाइकोर्ट के तत्कालीन जस्टिस कुलवंत सहाय ने मामले की सुनवाई के बाद 21 अगस्त 1958 को आदेश पारित करते हुए छोटानागपुर बैंकिंग कंपनी को बंद करने का आदेश दिया.
इस दौरान कंपनी की संपत्ति के आकलन को लेकर ऑफिशियल लिक्वेिटर भी नियुक्त किया गया.
कई इलाकों में खरीदी थी जमीन : छोटानागपुर बैंक की ओर से रांची सहित झारखंड के अन्य इलाकों में भी जमीन खरीदी गयी थी. कंपनी के बंद होने के बाद से डिपोजिटर के दावों को लेकर अब भी सुनवाई चल रही है. बैंकिंग एसोसिएशन ने सदर थाना अंतर्गत हिनू, हुंडरू, हेथू और कल्याणपुर में 453 एकड़ जमीन खरीदी थी. सरकार ने इसमें से 254.70 एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर लिया था.
इसमें 251.70 एकड़ जमीन एरोड्रम के लिए अधिग्रहीत की गयी थी. इसके अलावा डिफेंस ऑफ इंडिया एक्ट के तहत 18.86 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया. शेष बची 179.44 एकड़ जमीन में से 141.81 एकड़ फिर से डिफेंस ऑफ इंडिया के तहत ले ली गयी. बची हुई 37.63 एकड़ जमीन पर ही कंपनी का कब्जा था. इसे भी बैंक ने 1952 में तीन रजिस्टर्ड डीड के सहारे बेच दिया. फिलहाल धनबाद में विवादित जमीन को लेकर मामला चल रहा है.
20 वर्ष से अधिक समय से लंबित हैं 569 मुकदमे
झारखंड हाइकोर्ट में 19 जून 2015 तक कुल लंबित मुकदमों की संख्या 79807 है. इसमें से 42039 सिविल और 37768 आपराधिक मामले हैं. इनमें 569 मुकदले 20 वर्ष से अधिक समय से लंबित हैं. प्रफुल्ल कुमार दास बनाम बिहार सरकार व अन्य का मामला 31 साल पुराना है. यह मामला 1984 में दायर हुआ था. यह बहस के स्टेज में है.

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