नयी दिल्ली. सरकार ने निजी कंपनियों के लिए कंपनी अधिनियम के तहत अपने वार्षिक ब्योरे में यौन उत्पीड़न पर आंतरिक शिकायत समिति (आइसीसी) के गठन की सूचना का प्रकाशन अनिवार्य बनाने की प्रक्रिया शुरू की है. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने कारपोरेट कार्य मंत्रालय को पत्र लिख कर कहा है कि वह कंपनी अधिनियम-2013 की धारा 134 के तहत आइसीसी के गठन संबंधी सूचना का दिया जाना अनिवार्य करने की अधिसूचना जारी करे.पत्र में कहा गया है, ‘कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध एवं निवारण) अधिनियम-2013 के तहत आइसीसी का गठन निजी क्षेत्र की कंपनियों की ओर से सुनिश्चित करने के क्रम में कंपनियों से यह कहना उचित होगा कि वे अपने वार्षिक ब्योरे में आइसीसी के गठन का खुलासा करें.’ महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने फिक्की, एसोचैम तथा सीआइआइ सहित प्रमुख व्यापारी चैंबर्स से कहा था कि वे अनुपालन रिपोर्ट सौंपे क्योंकि देश में अधिकांश निजी कंपनियां के पास यौन उत्पीड़न के मामलों के निवारण के लिए आंतरिक समिति नहीं हैं एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘कंपनियों को इस मामले पर अधिक दिलचस्पी नहीं है, ऐसे में हमने कंपनी अधिनियम-2013 के तहत अनिवार्य बनाने का फैसला किया है. हमने इस नियम को अधिसूचित करने के लिए कारपोरेट कार्य मंत्रालय को लिखा है.’ अधिकारी ने कहा, ‘विभिन्न संगठनों में कार्यस्थलों पर यौन उत्पीड़न के मामलों की संख्या में इजाफा हुआ है.’ यौन उत्पीड़न विरोधी कानून के प्रावधानों को लागू न करने वाले नियोक्ताओं पर 50,000 रुपये के जुर्माने का प्रावधान है.
यौन उत्पीड़न संबंधी समिति की सूचना देना अनिवार्य
नयी दिल्ली. सरकार ने निजी कंपनियों के लिए कंपनी अधिनियम के तहत अपने वार्षिक ब्योरे में यौन उत्पीड़न पर आंतरिक शिकायत समिति (आइसीसी) के गठन की सूचना का प्रकाशन अनिवार्य बनाने की प्रक्रिया शुरू की है. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने कारपोरेट कार्य मंत्रालय को पत्र लिख कर कहा है कि वह कंपनी अधिनियम-2013 […]
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