22.2 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

..तो हम देश के विकास दर से आगे होंगे

रांची : झारखंड विधानसभा द्वारा आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला के अंतिम दिन विधायकों को मैनेजमेंट ऑफ पब्लिक फाइनांस के बारे में विशेषज्ञों ने बताया. इंस्टीटय़ूट ऑफ ह्यूमन डेवलपमेंट (आइएचडी) के प्रोफेसर हरीश्वर दयाल ने कहा कि राज्य गठन के बाद से झारखंड के विकास की दर काफी अच्छी है. वर्ष 2008-09 की मंदी के समय […]

रांची : झारखंड विधानसभा द्वारा आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला के अंतिम दिन विधायकों को मैनेजमेंट ऑफ पब्लिक फाइनांस के बारे में विशेषज्ञों ने बताया. इंस्टीटय़ूट ऑफ ह्यूमन डेवलपमेंट (आइएचडी) के प्रोफेसर हरीश्वर दयाल ने कहा कि राज्य गठन के बाद से झारखंड के विकास की दर काफी अच्छी है.
वर्ष 2008-09 की मंदी के समय भी विकास दर नौ फीसदी के करीब रही. देश और झारखंड की विकास दर की यही स्थिति रही, तो हम अगले आठ साल में भारत की विकास दर से आगे होंगे. उन्होंने कहा कि राज्य में कई क्षेत्रों में विकास हुआ है. कहीं-कहीं राज्य आंकड़ों में भारत के साथ खड़ा है. कहीं-कहीं काफी पीछे हैं.
असल में राज्य का विकास ही असंतुलित है. धनबाद की प्रति व्यक्ति आय गढ़वा के प्रति व्यक्ति से दो गुनी है. पहले सत्र में रांची विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ रमेश शरण, आद्री के सदस्य सचिव शैवाल गुप्ता, कोल्हान विश्वविद्यालय के पूर्व प्रति कुलपति आरपीपी सिंह ने विचार रखे.
विधायकों को कोर्स कराया जाये: शैवाल
आद्री के सदस्य सचिव शैवाल गुप्ता ने कहा कि पिछले कुछ वर्षो से हाउस (सदन) के अंदर डिबेट कम हो गये हैं. सदन की गरिमा बनाये रखने के लिए एजेंडा तय करना जरूरी है. यहां के विधायकों को झारखंड पर एक कोर्स कराना चाहिए. इससे सदन के अंदर बहस का स्टैंडर्ड बढ़ जायेगा.
झारखंड का विकास नहीं होने का एक कारण आर्थिक आंदोलन का नहीं होना भी है. महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे राज्यों में औद्योगिक विकास को लेकर बड़े जन आंदोलन हुए हैं. इसमें मध्यम वर्ग की जबरदस्त भागीदारी होती है.
सभी क्षेत्र में गुणवत्ता बढ़ाने पर विचार हो : सिंह
कोल्हान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ आरपीपी सिंह ने कहा कि राज्य में शिक्षा प्राप्त करने वालों की संख्या भले ही बढ़ी हो, गुणवत्ता गिरी है. सभी क्षेत्र में गुणवत्ता बढ़ाने के बारे में सोचना चाहिए.
इसके लिए गवर्नेस के सिस्टम में भी बदलाव की जरूरत पड़ सकती है. लोगों को सब्सिडी नहीं देनी चाहिए. यह जाहिल बनाती है. इससे अच्छा लोगों का कौशल विकास है. आज राज्य में कई पुरानी योजना वर्षो से लटकी है. सरकार को चाहिए कि एक साल जरूरी नहीं हो, तो पुरानी योजनाओं को चालू करने में पैसा खर्च करे.
आय-व्यय बढ़ाने की जरूरत : खरे
कार्यशाला के तकनीकी सत्र को संबोधित करते हुए राज्य के वित्त सचिव अमित खरे ने कहा कि झारखंड का बजट आकार अपने समतुल्य छत्तीसगढ़ से भी कम है. चालू वित्तीय वर्ष में राज्य का बजट आकार 55492 करोड़ रुपये का है. राजस्व घाटा करीब 4684 करोड़ रुपये का है.
राज्य में ऋण की स्थिति ठीक है. पर टैक्स कलेक्शन की स्थिति ठीक नहीं है. अच्छी अर्थव्यवस्था तैयार करने के लिए हमें आय और व्यय दोनों बढ़ाने होंगे. योजनाओं की स्वीकृति की प्रक्रिया को सरल करना चाहिए. पावर का विकेंद्रीकरण कर ऐसा किया जा सकता है. राशि निर्गत करने की प्रक्रिया भी सरल होनी चाहिए. अगले साल के बजट में जन भागीदारी तय की जायेगी. जिला से लेकर राज्य स्तर तक सुझाव लिया जायेगा. लोगों से ऑनलाइन सुझाव भी मांगे जायेंगे. टैक्स रिफॉर्म की दिशा में भी काम करना होगा.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें