हजरत अली की शहादत के बारे में लोगों को बताने की जरूरत : मौलाना
तीन दिवसीय मजलिस -ए- गम शुरूसंवाददाता रांची मसजिद-ए- जाफरिया, चर्च रोड में हजरत अली की शहादत की याद में तीन दिवसीय मजलिस-ए- गम की शुरुआत हुई. पहले दिन मौलाना तहजीबुल हसन रिजवी ने हजरत अली की जिंदगी और इसलाम में उनके किरदार पर रोशनी डाली. उन्होंने कहा कि हजरत अली की शहादत के बारे में […]
तीन दिवसीय मजलिस -ए- गम शुरूसंवाददाता रांची मसजिद-ए- जाफरिया, चर्च रोड में हजरत अली की शहादत की याद में तीन दिवसीय मजलिस-ए- गम की शुरुआत हुई. पहले दिन मौलाना तहजीबुल हसन रिजवी ने हजरत अली की जिंदगी और इसलाम में उनके किरदार पर रोशनी डाली. उन्होंने कहा कि हजरत अली की शहादत के बारे में लोगों को बताने की जरूरत है. नबी का फरमान है कि अली का दुश्मन कभी जन्नत नहीं जा सकता. अली की मुहब्बत में अल्लाह ने जन्नत खल्क की (रची) है. अली का मुहब्बत ईमान है. अली से घृणा करने वाला मुनाफिक (धार्मिक होने का दिखावा करने वाला) है. मजलिस की शुरुआत तिलावते कुरआन पाक से की गयी. सैयद इमाम रिजवी ने सोजखानी की.कासिम अली, अशरफ रिजवी व हसन इमाम ने नौहाखानी की. कलाम पेश करने वालों में नेहाल सरैयावी व मो इमाम शामिल थे. इस मौके पर डॉ शीन अख्तर, डॉ सुलेमान कुली, डॉ शमीम हैदर, डॉ अशरफ नकवी, जावेद हैदर, इकबाल हुसैन मौजूद थे.