पंचायतों को चलाने में आड़े आ रहा आर्थिक संकट

रांची : राज्य की पंचायतों को चलाने में आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है. धीरे-धीरे संकट बढ़ रहा है. आने वाले समय में विकास कार्यो के क्रियान्वयन में और भी अड़चनें आयेंगी. पंचायतों के लिए बड़ी राशि केंद्र सरकार ने तो काट ही दी है, राज्य सरकार ने भी अभी बजट में पंचायतों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 8, 2015 6:01 AM
रांची : राज्य की पंचायतों को चलाने में आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है. धीरे-धीरे संकट बढ़ रहा है. आने वाले समय में विकास कार्यो के क्रियान्वयन में और भी अड़चनें आयेंगी.
पंचायतों के लिए बड़ी राशि केंद्र सरकार ने तो काट ही दी है, राज्य सरकार ने भी अभी बजट में पंचायतों के लिए कुछ खास नहीं किया है. ऐसे में पंचायतों में काम कराना मुश्किल होगा. नयी योजनाओं के क्रियान्वयन में तो दिक्कतें आ ही रही हैं, पुरानी चालू योजनाओं को पूरा करने में भी परेशानी हो रही है. सारी योजनाएं धीमी हो गयी हैं. कई जगहों पर योजनाएं रुक भी गयी हैं.
यह स्थिति केंद्र सरकार द्वारा 937 करोड़ रुपये की कटौती कर देने से हुई है. हर साल झारखंड को पंचायतों के विकास के लिए यह राशि दी जाती थी, लेकिन इस साल से यह राशि नहीं दी जायेगी. बीआरजीएफ से 427 करोड़ व एसीए से 510 करोड़ रुपये पंचायतों को मिलते थे. यह राशि आधारभूत संरचना तैयार करने में खर्च हो रही थी. वहीं गांवों के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाएं ली जा रही थीं.
अब तक अधिकार नहीं मिले
पंचायत चुनाव हुए करीब साढ़े चार साल हो गये हैं, लेकिन अब तक पंचायतों को पूरा अधिकार नहीं मिल सका है. कई विभागों से संबंधित अधिकार अब भी सरकारी सेवकों के पास ही है. पंचायतों को अधिकार नहीं दिये जाने की वजह से वे ठीक से काम नहीं कर पा रहे हैं. पंचायत प्रतिनिधियों का कहना है कि अधिकार के नाम पर उन्हें कुछ नहीं मिला है. सारे अधिकार कागज पर ही हैं.
नवंबर-दिसंबर में होना है चुनाव
इस साल नवंबर-दिसंबर में पंचायत चुनाव होना है. यानी राज्य में दूसरी बार पंचायती व्यवस्था के लिए मतदान होंगे. पंचायती व्यवस्था को चलाने के लिए प्रतिनिधियों का चुनाव किया जायेगा. मौजूदा प्रतिनिधियों का कहना है कि उनका पूरा कार्यकाल गुजर गया और वे कुछ नहीं कर सके. यह सब अधिकार नहीं मिलने की वजह से हुआ है. अब तक पैसे की भी कटौती हो गयी है. ऐसे में पंचायतों का विकास कैसे होगा?
जमशेदपुर: पर्यटन विभाग के दो करोड़ के भवन में शादी और रिसेप्शन
साकची स्थित पुराना कोर्ट परिसर (रजिस्ट्री ऑफिस के बगल में) में दो करोड़ रुपये की लागत से पर्यटन सूचना भवन का निर्माण हुआ था. इसका उद्देश्य था कि लोग यहां से पर्यटन से संबंधित सूचनाएं हासिल करेंगे. लेकिन, यह भवन पिछले छह साल से बेकार पड़ा हुआ है.
राज्य सरकार ने इसे एक निजी कंपनी को समर्पित कर दिया है. अब इसका इस्तेमाल शादी की रिसेप्शन पार्टी या बरात को ठहराने के लिए किया जाता है. वैसे इसकी बुकिंग भी कम ही हो पाती है, क्योंकि जहां यह भवन है, उसके आसपास शाम होते ही सन्नाटा पसर जाता है, जबकि दिन के वक्त यहां गाड़ी के अंदर आने तक की जगह नहीं होती है.अब तक इसका इस्तेमाल जिला प्रशासन गोदाम के रूप में करता रहा है. यहां इवीएम समेत तमाम चीजों को रखा जाता है.

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