बगैर मापदंड के खुल रहे नर्सिग स्कूल

एनओसी का पालन नहीं, पढ़ाई भगवान भरोसे, ली जाती है मनमानी फीस एक स्कूल में सीट से अधिक नामांकन 10 सरकारी नर्सिग स्कूलों को छोड़ राज्य भर में कुल 38 निजी एएनएम संजय रांची : राज्य के ग्रामीण इलाके में नियमों की अनदेखी कर नर्सिग स्कूल खोले जा रहे हैं. यहां मनमानी फीस ली जाती […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 13, 2015 6:37 AM
एनओसी का पालन नहीं, पढ़ाई भगवान भरोसे, ली जाती है मनमानी फीस
एक स्कूल में सीट से अधिक नामांकन
10 सरकारी नर्सिग स्कूलों को छोड़ राज्य भर में कुल 38 निजी एएनएम
संजय
रांची : राज्य के ग्रामीण इलाके में नियमों की अनदेखी कर नर्सिग स्कूल खोले जा रहे हैं. यहां मनमानी फीस ली जाती है. वहीं, पठन-पाठन भगवान भरोसे है. सरकारी नर्सिग स्कूलों (10) को छोड़ राज्य भर में कुल 38 निजी एएनएम स्कूल हैं. इनमें से 16 अकेले रांची में हैं. विभिन्न पदाधिकारियों से बनी स्वास्थ्य विभाग की कमेटी इन नर्सिग स्कूल व कॉलेजों को एनओसी देती है.
एनएमएम व जीएनएम (ग्रेड-ए नर्स) का प्रशिक्षण शुरू करने से पहले राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र(एनओसी) लेना होता है. एनओसी के लिए भारतीय परिचारिका परिषद (एनआइसी) ने कई मापदंड तय किये हैं. इन्हीं मापदंडों को पूरा करने वाले स्कूलों को विभाग की उक्त कमेटी एनओसी देती है. इधर ग्रामीण इलाके में खुलने वाले नर्सिग स्कूलों में इन मापदंडों का पालन नहीं किया जा रहा है.
महिलौंग के पास नवनिर्मित रिंग रोड से सटा अगस्तय स्कूल ऑफ नर्सिग तो 20-25 डिसमिल जमीन पर ही बना है. लड़कियां यहीं रहती तथा यहीं पढ़ती हैं. ग्रामीण इलाके में खुले नर्सिग स्कूलों में से बहुत कम ही एनआइसी के सभी मापदंड को पूरा करते हैं. अनगड़ा प्रखंड के चिलदाग में खुला एनआर स्कूल ऑफ नर्सिग लगभग 50 डिसमिल जमीन पर बना है. यहां भी कुछ कमरे बना कर स्कूल का संचालन किया जा रहा है.
हालांकि इसे अभी झारखंड सरकार से मान्यता नहीं मिली है. उधर, तुपुदाना स्थित इंदिरा स्कूल ऑफ नर्सिग को 30 सीटों की मान्यता मिली है, लेकिन संस्थान ने 60 छात्राओं को परीक्षा देने की अनुमति विभाग से मांगी है. सीट से अधिक नामांकन लेने वाले इस संस्थान पर विभाग कार्रवाई की तैयारी कर रहा है.
प्रैक्टिकल में भी घपला
नियमत: नर्सिग स्कूल-कॉलेज वहीं खुल सकते हैं, जिसके पांच किमी के अंदर कोई अस्पताल हो. इधर, रांची के कुल 16 में से आठ-नौ स्कूलों ने प्रैक्टिकल के लिए एक ही अस्पताल का नाम दिया है. शहर के बीच स्थित बच्चों वाला यह अस्पताल ज्यादातर निजी नर्सिग स्कूलों से 10-15 किमी दूर है. प्रैक्टिकल के लिए सहमति पत्र प्राप्त करने के लिए स्कूल अस्पतालों को अच्छी रकम देते हैं, पर स्कूलों की दिलचस्पी प्रैक्टिकल में बहुत नहीं होती.
क्या है शर्त : ग्रामीण इलाके में नर्सिग स्कूल का कैंपस कम से कम तीन एकड़ में होना चाहिए. वहीं शहरी क्षेत्र में कम से कम एक एकड़. कैंपस में ही प्राचार्य व अन्य स्टाफ का आवास होना भी आवश्यक है.
छात्राओं के क्लिनिकल प्रशिक्षण के लिए कम से कम 50 बेड का अस्पताल व ग्रेड-ए नर्स के लिए 200 बेड (100 का दो तथा 50 का अधिकतम चार भी मान्य) का अस्पताल होने या ऐसे अस्पताल में प्रशिक्षण के लिए समझौता (टाइ-अप) होने की भी शर्त है. ये अस्पताल स्कूल से पांच किमी से अधिक दूर नहीं होने चाहिए.

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