रांची. झारखंड के उत्तरी छोटानागपुर और पलामू प्रमंडल में अमरूद की खेती बड़े पैमाने पर शुरू की गयी है. निजी लोगों के खेतों में इसकी खेती करायी जा रही है. करीब 75 एकड़ में 52 हजार से अधिक अमरूद के पौधे लगाये गये हैं. पहली बार इतने बड़े पैमाने पर व्यावसायिक तरीके से खेती करायी जा रही है. इससे करीब 10.50 लाख किलो अमरूद तैयार होने का अनुमान है. एक पौधे से औसतन 20 किलो अमरूद का उत्पादन होता है. झारखंड में ताइवान पिंक वेराइटी अमरूद की कॉमर्शियल खेती अभी खूंटी जिले में शुरू की गयी है. वहीं नंदी ग्रीन सोल्यूशन कंपनी करीब तीन एकड़ से अधिक भूमि में इसकी खेती कर रही है. इसके लिए पौधे पुणे से लाये जा रहे हैं. यही पौधे राज्य के अन्य जिलों में निजी खेतों में लगाये गये हैं.
हरिहरगंज में 25 और खूंटी में 20 एकड़ में लगाये गये हैं प्लांट
इसी वेराइटी का पौधा हरिहरगंज में करीब 25 एकड़ में निजी किसान की खेत में लगाये गये है. इसके अतिरिक्त खूंटी में करीब 20 एकड़ में खेती की गयी है. इसमें फल नौ से 10 महीने के अंदर आने लगेंगे. हजारीबाग में पांच, रांची में 15, रामगढ़ में तीन तथा जमशेदपुर में भी पांच एकड़ में इसी संस्था ने पौधे लगवाये हैं. संस्था किसानों को प्लांट उपलब्ध कराने से लेकर मार्केट तक की सुविधा दे रही है.रिलांयस में बिका था अमरूद
छठ के समय खूंटी जिले से तैयार अमरूद रिलायंस के कई काउंटर पर बेचा गया था. झारखंड का उत्पाद होने के कारण इसकी कीमत भी 60 रुपये किलो के आसपास ही थी. दूसरे राज्यों से आने वाली इसी क्वालिटी की अमरूद की कीमत 120 से 150 रुपये किलो तक थी. किसानों का कहना है कि अगले साल झारखंड के लोगों को अच्छी कीमत पर यहां का अमरूद मिलने लगेगा.
भारत सबसे अधिक करता है अमरूद का उत्पादनभारत पूरे विश्व में सबसे अधिक अमरूद का उत्पादन करता है. यहां करीब 25 मिलियन टन अमरूद का उत्पादन होता है. यह पूरे विश्व के उत्पादन का करीब 45 फीसदी है. भारत में अमरूद उत्पादन में पहला स्थान उत्तर प्रदेश का है. झारखंड का स्थान अमरूद उत्पादन में कहीं नहीं है. विशेषज्ञों का कहना है कि झारखंड की जलवायु अमरूद उत्पादन के अनुकूल है. पहले यहां घरों के किचन गार्डेन में अमरूद का प्रचलन था. अभी भी कई घरों में अमरूद किचन-गार्डेन में होता है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है