अधिकारी निकम्मे एप्रोच लेथाजिर्क

गैर प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को आइएएस कैडर में प्रोन्नति मामले में हाइकोर्ट की टिप्पणी रांची : झारखंड हाइकोर्ट में बुधवार को गैर प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को आइएएस कैडर में प्रोन्नति नहीं देने को लेकर दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस डीएन पटेल व जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2015 2:38 AM
गैर प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को आइएएस कैडर में प्रोन्नति मामले में हाइकोर्ट की टिप्पणी
रांची : झारखंड हाइकोर्ट में बुधवार को गैर प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को आइएएस कैडर में प्रोन्नति नहीं देने को लेकर दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस डीएन पटेल व जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान कड़ी टिप्पणी की और अधिकारियों की कार्यशैली पर नाराजगी जतायी.
मौखिक टिप्पणी में खंडपीठ ने कहा : राज्य में काम नहीं होता. अधिकारी काम नहीं करते हैं. निकम्मे हो गये हैं. उनका एप्रोच लेथाजिर्क है. आइएएस अधिकारियों की कार्यशैली इतनी खराब है कि केंद्र सरकार के अधिकारियों को बुला कर उन्हें कोचिंग देने की जरूरत है.
कौन-कौन अधिकारी जिम्मेवार बतायें : खंडपीठ ने याचिकाकर्ता से पूछा : गैर प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को आइएएस कैडर में प्रोन्नति के लिए अनुशंसा नहीं भेजने के जिम्मेवार कौन-कौन अधिकारी हैं. कोर्ट के आदेश के बाद भी 31 दिसंबर 2013 तक अधिकारियों की अनुशंसा यूपीएससी को क्यों नहीं भेजी गयी. खंडपीठ ने जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ अवमानना की प्रक्रिया शुरू करने की बात कही. प्रार्थी व केंद्र सरकार के अधिवक्ता के आग्रह पर अवमानना प्रक्रिया शुरू करने से कोर्ट ने स्वयं को रोक लिया.
बैठी रहती है सरकार : खंडपीठ ने कहा : आइएएस अधिकारियों में न कार्यशैली है और न ही अनुशासन है. सरकार बैठी रहती है. सरकार का अफसरों पर पकड़ नहीं है. आइएएस कैडर में प्रोन्नति के लिए राज्य सेवा के अधिकारियों के नाम की अनुशंसा समय सीमा खत्म होने के बाद भेजी जाती है.
कई अधिकारियों की उम्र सीमा भी खत्म हो जाती है. अनुशंसा भी आधी-अधूरी होती है. आखिर ऐसा कब तक चलेगा. खंडपीठ ने मुख्य सचिव को शपथ पत्र दायर करने का निर्देश दिया. पूछा कि कैसे सिस्टम ठीक होगा, ताकि दोबारा इस तरह की स्थिति उत्पन्न नहीं हो. मामले की अगली सुनवाई के लिए 18 अगस्त की तिथि निर्धारित की.
प्रार्थी का पक्ष
प्रार्थी उमेश मेहता, उदय शंकर सहाय व अन्य की ओर से वरीय अधिवक्ता अनिल कुमार सिन्हा ने खंडपीठ को बताया कि कोर्ट के आदेश (20 अक्तूबर 2013) के बावजूद राज्य सरकार ने अब तक आइएएस कैडर में प्रोन्नति के लिए अधिकारियों के नाम की अनुशंसा संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को नहीं भेजी है. इसका खुलासा केंद्र सरकार के कार्मिक व प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) से सूचनाधिकार के तहत मांगी गयी जानकारी से हुआ है. कोर्ट ने 31 दिसंबर 2013 तक अनुशंसा भेजने और डीओपीटी को समाप्त हो गये पदों को पुनर्जीवित करने का आदेश दिया था.
केंद्र सरकार का पक्ष
केंद्र सरकार की ओर से अधिवक्ता राजीव सिन्हा ने खंडपीठ को बताया कि वर्ष 2011, 2012 व 2013 में प्रोन्नति के लिए 36 पद थे. 33 पदों पर प्रोन्नति दे दी गयी. तीन पद रिक्त थे. इन पदों पर प्रोन्नति के लिए राज्य सरकार से कोई अनुशंसा प्राप्त नहीं हुई है.
राज्य सरकार का पक्ष
राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि डीओपीटी को पत्र लिखा गया था. उसने स्वयं अपने शपथ पत्र में कहा है कि तीन पदों को पुनर्जीवित करना संभव नहीं है.

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