जहां बैठते हैं सीओ ऑफिस के कर्मी, वहीं हो गया कब्जा
हालात वाकई खराब हैं.. रांची : कांके अंचल के अधीन पड़नेवाले पिर्रा में दो-तीन वर्षो से जमीन का गोरखधंधा चल रहा है. यहां गैर मजरूआ जमीन पर गलत तरीके से अतिक्रमण किया जा रहा है. इतना ही नहीं, नाला की जमीन को भी बंदोबस्ती की जमीन बता कर बेचने का धंधा हो रहा है. राजस्व […]
हालात वाकई खराब हैं..
रांची : कांके अंचल के अधीन पड़नेवाले पिर्रा में दो-तीन वर्षो से जमीन का गोरखधंधा चल रहा है. यहां गैर मजरूआ जमीन पर गलत तरीके से अतिक्रमण किया जा रहा है. इतना ही नहीं, नाला की जमीन को भी बंदोबस्ती की जमीन बता कर बेचने का धंधा हो रहा है.
राजस्व कर्मियों की आंखों के सामने की जमीन हड़पी
सबसे दिलचस्प बात है कि यहां कांके अंचल कार्यालय की तहसील कचहरी है. जहां जमीन का लगान लिया जाता है. यहां राजस्व कर्मचारी भी बैठते हैं. यहीं पर लैंपस ऑफिस भी है.
यानी कर्मचारियों की आंखों के सामने जमीन पर अतिक्रमण होता रहा. इसके बावजूद राजस्व कर्मियों द्वारा किसी तरह की आपत्ति तक नहीं की गयी और ना ही इसकी जानकारी उच्चधिकारियों को दी गयी . प्रत्यक्ष रूप से सरकारी जमीन पर लोगों को कब्जा करने दिया गया.
कमाई की बंदरबांट
इस धंधे से जुड़े लोगों को ही इससे कमाई नहीं हुई है, बल्कि सरकारी सेवकों और जिम्मेवार अधिकारियों ने भी खूब कमाया है. संबंधित कर्मी मामले को नजरअंदाज करने के एवज में लाभान्वित होते रहे. यही वजह है कि बार-बार शिकायतों के बावजूद मामले पर कुछ नहीं हुआ.
तैयार हो रही है रिपोर्ट
इस मामले को लेकर रिपोर्ट तैयार की जा रही है. अंचल कार्यालय की ओर से इसकी जांच की जा रही है. जिस जमीन पर तहसील कचहरी व लैंपस निर्मित है, उसे पूरी तरह सरकारी स्वरूप का माना गया है. इस पर अतिक्रमण हो जाना तत्कालीन हलका प्रभारी और राजस्व कर्मचारी की भूमिका पर संदेह पैदा करता है.