मेडिकल कचरे के निष्पादन से बीमारियों से बचेंगे लोग : कोर्ट

रांची : हाइकोर्ट में शुक्रवार को रांची, जमशेदपुर, बोकारो व धनबाद के अस्पतालों व पैथो लैब से निकलनेवाले बायो मेडिकल वेस्ट के उचित निष्पादन को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस पीपी भट्ट की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार व झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 25, 2015 1:57 AM
रांची : हाइकोर्ट में शुक्रवार को रांची, जमशेदपुर, बोकारो व धनबाद के अस्पतालों व पैथो लैब से निकलनेवाले बायो मेडिकल वेस्ट के उचित निष्पादन को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई.
चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस पीपी भट्ट की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार व झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सक्रिय प्रयासों पर संतोष प्रकट किया.
कहा कि प्रतिदिन मेडिकल कचरे का उठाव हो तथा उसका निष्पादन होना चाहिए. इसकी शुरुआत रांची नगर निगम क्षेत्र की सीमा में संचालित अस्पतालों, नर्सिग होम व पैथो लैब से हो. कचरे के निष्पादन से लोग कई बीमारियों से बचेंगे. लोगों का स्वास्थ्य ठीक रहेगा. खंडपीठ ने सरकार के जवाब को सकारात्मक बताते हुए मौखिक रूप से कहा कि सरकार और बोर्ड द्वारा आज जो सक्रियता दिखायी जा रही है, यह हमेशा बरकरार रहना चाहिए. पहले को-ऑर्डिनेशन की कमी थी. अस्पताल, नर्सिग होम संचालक को भी कचरे का निष्पादन कैसे करना है, उसकी जानकारी नहीं थी. उन्होंने जानकारी भी नहीं ली.
सरकार को चाहिए कि वह मेडिकल संस्थान चलानेवालों को जागरूक करे और इस गंभीर समस्या का ठोस समाधान निकाले. इस मुद्दे पर हाइकोर्ट गंभीर है, सरकार भी गंभीर है, इसका प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में लगातार समाचार प्रकाशित कराया जाये. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में बड़ी संख्या में रिक्त पदों को भरने से संबंधित बोर्ड के आग्रह पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने महाधिवक्ता को निर्देश दिया.
कहा कि वे इस मामले को देखे तथा कोर्ट को भी अवगत करायें. बिना लाइसेंस व एनओसी के संचालित मेडिकल संस्थानों की जानकारी देने को कहा. मामले की अगली सुनवाई छह सप्ताह के बाद होगी. इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि मेडिकल कचरे के निष्पादन के मुद्दे पर उच्चस्तरीय बैठक की गयी.
रणनीति बनायी गयी. अखबारों में नोटिस जारी किया गया है. अस्पतालों, नर्सिग होम, पैथो लैब संचालकों से बायो मेडिकल वेस्ट (मैनेजमेंट व हैंडलिंग) रूल्स 1998 के अनुपालन की जानकारी मांगी गयी है. विहित प्रपत्र में सूचना देने के लिए पांच अगस्त तक का समय दिया गया है. सूचना नहीं देनेवालों के खिलाफ पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत कड़ी कार्रवाई की जायेगी.
वहीं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से वरीय अधिवक्ता अनिल कुमार सिन्हा ने खंडपीठ को बताया कि कानून के अनुसार कार्रवाई की जा रही है. बोर्ड में लगभग 70 प्रतिशत पद वर्षो से खाली है. 1986 में बनी नियुक्ति नियमावली में कहा गया है कि 2500 रुपये के वेतनमान तक के पदों पर बोर्ड नियुक्ति करेगा. इससे ऊपर के पदों पर सरकार से सहमति ली जायेगी. वर्तमान में बोर्ड में 2500 रुपये तक का कोई वेतनमान नहीं रह गया है. नियुक्ति नहीं हो पा रही है.
राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता विनोद पोद्दार व राजकीय अधिवक्ता राजेश शंकर ने पक्ष रखा. गौरतलब है कि प्रार्थी झारखंड ह्युमैन राइट्स कांफ्रेंस की ओर से जनहित याचिका दायर की गयी है.

Next Article

Exit mobile version