संसाधनों का दोहन बंद हो नहीं तो स्थिति भयावह होगी

रांची: डॉ फेलिक्स पडेल (चाल्र्स डार्विन के परपोते एवं मानव विज्ञानी) ने कहा कि जिस तरह से संसाधनों का दोहन हो रहा है, उससे आज से सौ वर्ष बाद स्थिति भयावह होगी. आज के विद्यार्थियों को यह सोचना होगा कि क्या वे भविष्य के लिए आर्थिक व राजनीतिक मॉडल दे सकते हैं. आज भारत का […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 27, 2015 3:58 AM
रांची: डॉ फेलिक्स पडेल (चाल्र्स डार्विन के परपोते एवं मानव विज्ञानी) ने कहा कि जिस तरह से संसाधनों का दोहन हो रहा है, उससे आज से सौ वर्ष बाद स्थिति भयावह होगी. आज के विद्यार्थियों को यह सोचना होगा कि क्या वे भविष्य के लिए आर्थिक व राजनीतिक मॉडल दे सकते हैं. आज भारत का जो प्रजातांत्रिक मॉडल है, वह पश्चिम से उधार ली हुई है.

हमें आदिवासी समाज में मौजूद प्रजातांत्रिक व्यवस्था से सीखना चाहिए, वहां लालच या गलाकाट स्पर्धा नहीं है. डॉ फेलिक्स रविवार को एसडीसी सभागार में मानवाधिकार कार्यकर्ता ग्लैडसन डुंगडुंग की पुस्तक मिशन सारंडा के लोकार्पण के अवसर पर बोल रहे थे. डॉ फेलिक्स ने कहा कि हम पिछले दो हजार वर्षो में जरा भी विकसित नहीं हुए. उन्होंने आर्थिक विकास के संदर्भ में कहा कि ग्रीस में खूब पैसा आया, पर यह पैसा लोन के रूप में था. जब लोन का बोझ बढ़ा, तो ग्रीस की अर्थव्यवस्था खराब हो गयी.

मौके पर डॉ रमेश शरण ने कहा कि ग्लैडसन की यह पुस्तक जीवंत दस्तावेज है. सारंडा की कहानी पूरे देश के आदिवासियों की कहानी है. यह आदिवासियों का दुर्भाग्य है कि वे जहां पर बैठे हैं, वहां खनिज पदार्थो की भरमार है. ऑस्ट्रेलिया व अमेरिका में जहां माइनिंग इलाके हैं, उन इलाकों की स्थिति भी खराब है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार झारखंड में प्रति व्यक्ति आय सबसे अधिक पश्चिमी सिंहभूम में है, पर यही वह इलाका भी है, जो विकास के सूचकांक में सबसे अधिक खराब है.

डॉ रोज केरकेट्टा ने कहा कि सारंडा में नक्सली व सरकार का एक ही दावा है कि वे लोगों के लिए लड़ रहे हैं, पर इन दोनों के बीच वहां के लोग पिस रहे हैं. सारंडा के लोग मसीहा बन कर उभरे हैं और उनके नेतृत्व में आंदोलन आगे बढ़ रहा है. फादर स्टेन स्वामी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय था कि जो जमीन का मालिक है, वही खनिज का भी मालिक होगा. अगर सरकार को खनिज निकालना है, तो ग्राम सभा से सहमति लेनी होगी. ऐसा नहीं हो रहा है. समारोह को ग्लैडसन डुंगडुंग, डॉ जोसेफ मरियानुस कुजूर, विजय मूर्ति, वंदना टेटे, सुशील बारला सहित अन्य ने भी संबोधित किया.

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