कांग्रेस के लिए आसान नहीं झामुमो का समर्थन लेना
भाजपा-आजसू के सामने भी चुनौती लोहरदगा उपचुनाव सरकार के लिए चुनौती होगी. रघुवर दास सरकार अपनी लोकप्रियता का ग्राफ इसी चुनाव से भांपेगी. भाजपा इस एक सीट पर होने वाले चुनाव में किसी तरह का चूक नहीं करना चाहेगी. कमल किशोर भगत को सजा सुनाये जाने से खाली हुई इस सीट पर पहला दावा आजसू […]
भाजपा-आजसू के सामने भी चुनौती
लोहरदगा उपचुनाव सरकार के लिए चुनौती होगी. रघुवर दास सरकार अपनी लोकप्रियता का ग्राफ इसी चुनाव से भांपेगी. भाजपा इस एक सीट पर होने वाले चुनाव में किसी तरह का चूक नहीं करना चाहेगी. कमल किशोर भगत को सजा सुनाये जाने से खाली हुई इस सीट पर पहला दावा आजसू का बनता है.
उम्मीदवार के चयन में भाजपा-आजसू गंठबंधन के किचकिच हो सकता है. सूचना के मुताबिक, आजसू के अंदर कमल किशोर भगत के पिता को चुनाव में उतारने की तैयारी चल रही है. आजसू भले ही उम्मीदवार तय करेगा, लेकिन उस पर भाजपा का भी दबाव होगा. भाजपा आजसू के मजबूत मोहरा पर दावं लगायेगी.
रांची : लोहरदगा उपचुनाव में मुकाबला रोमांचकारी होगा. कांग्रेस की कोशिश है कि लोहरदगा में विपक्ष का साझा उम्मीदवार हो. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत इस मुहिम में जुटे भी हैं.
श्री भगत केंद्रीय नेताओं के माध्यम से झामुमो पर दबाव बना रहे हैं. प्रभारी बीके हरि प्रसाद से झामुमो नेता हेमंत सोरेन की बात भी करायी है. लेकिन कांग्रेस-झामुमो का लोहरदगा में गंठबंधन आसान नहीं है.
झामुमो भी इस सीट पर ताल ठोकेगी. वहीं कांग्रेस के लिए विधानसभा चुनाव में झामुमो से गंठबंधन तोड़ना भी महंगा पड़ सकता है. कांग्रेस के आला नेता सहित प्रदेश के कई नेता झामुमो के साथ गंठबंधन के पक्ष में थे.
लेकिन तब प्रदेश अध्यक्ष श्री भगत ने झामुमो के साथ चुनाव नहीं लड़ने के लिए केंद्रीय नेतृत्व को राजी कर लिया. लोहरदगा उपचुनाव में फिलहाल बंधु तिर्की भी कांग्रेस का चुनावी समीकरण बिगाड़ रहे हैं. श्री तिर्की ने झाविमो और झामुमो दोनों से संपर्क साधा है. राजनीतिक सूत्रों के अनुसार, झामुमो श्री तिर्की के सहारे चुनावी दंगल में उतरना चाहता है. वहीं श्री तिर्की झाविमो के साथ जाने का प्लॉट तैयार कर रहे हैं.