सुधरेगा अनुसंधान का स्तर, बढ़ेगी सजा दिलाने की दर

रांची : राज्य के छह जिलों के 46 थानों को इंस्पेक्टर रैंक में अपग्रेड कर इन थाना क्षेत्रों में कानून-व्यवस्था और अनुसंधान को अलग-अलग करने के निर्णय से आपराधिक मामलों में अनुसंधान के स्तर पर सुधार होगा. पुलिस अफसरों के मुताबिक वर्ष 2006 में सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों की सरकारों को ऐसा करने का निर्देश […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 29, 2015 2:46 AM
रांची : राज्य के छह जिलों के 46 थानों को इंस्पेक्टर रैंक में अपग्रेड कर इन थाना क्षेत्रों में कानून-व्यवस्था और अनुसंधान को अलग-अलग करने के निर्णय से आपराधिक मामलों में अनुसंधान के स्तर पर सुधार होगा.
पुलिस अफसरों के मुताबिक वर्ष 2006 में सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों की सरकारों को ऐसा करने का निर्देश दिया था. झारखंड में इसे लागू होने में नौ साल लग गये. अनुसंधान के स्तर में सुधार होने से अपराधियों को सजा दिलाने की दर में भी बढ़ोतरी होगी. अभी (एनसीआरबी के वर्ष 2013 के आंकड़े के अनुसार) झारखंड में अपराधियों को सजा दिलाने का दर सिर्फ 25.1 प्रतिशत है.
अभी पुलिस पदाधिकारियों का अधिकांश समय लॉ एंड आर्डर की समस्या को दुरुस्त करने में ही बीत जाता है. अनुसंधान को अलग करने से इसमें लगे पुलिस पदाधिकारी के जिम्मे सिर्फ अनुसंधान का काम रह जायेगा. इसका फायदा चाजर्शीट तैयार करने में मिलेगा. कई बार लॉ एंड आर्डर में व्यस्त रहने के कारण पुलिस पदाधिकारी कोर्ट में गवाही देने भी नहीं जा पाते थे. अब यह बहाना भी नहीं चलेगा.
लॉ एंड ऑर्डर और अनुसंधान को अलग करने का लाभ राज्य को मिलेगा. पुलिस पदाधिकारी अनुसंधान में पूरा वक्त दे पायेंगे. बेहतर अनुसंधान होने से ज्यादा अपराधियों को सजा दिलायी जा सकेगी. इससे अपराध पर अंकुश लगेगा. कानून-व्यवस्था में लगे पुलिस पदाधिकारी का ध्यान भी जब सिर्फ इस ओर ही रहेगा, तो वह भी बेहतर रिजल्ट देंगे.
नेयाज अहमद, पूर्व डीजीपी, झारखंड

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