3,802 करोड़ का हिसाब आज भी सरकार के पास नहीं

मनोज सिंह रांची : वित्त विभाग ने पैसा लेकर वित्तीय वर्ष में खर्च नहीं करने की परंपरा पर रोक लगा दी है. वित्त ने सभी विभागों को निर्देश दिया है कि अग्रिम निकासी कर पैसा बैकों में नहीं रखें. ज्यादा से ज्यादा पैसे की निकासी ट्रेजरी से बिल के आलोक में करें. अगर किसी विशेष […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 30, 2015 1:59 AM
मनोज सिंह
रांची : वित्त विभाग ने पैसा लेकर वित्तीय वर्ष में खर्च नहीं करने की परंपरा पर रोक लगा दी है. वित्त ने सभी विभागों को निर्देश दिया है कि अग्रिम निकासी कर पैसा बैकों में नहीं रखें. ज्यादा से ज्यादा पैसे की निकासी ट्रेजरी से बिल के आलोक में करें. अगर किसी विशेष परिस्थिति में पैसे की निकासी की जरूरत हो, तो उसका समायोजन हर हाल में चालू वित्तीय वर्ष में कर दिया जाना चाहिए.
कई विभाग ने वर्षो से लंबित एसी बिलों का समायोजन नहीं होने के कारण ऐसा किया है. वित्त विभाग ने 21 जुलाई को समीक्षा के दौरान पाया है कि करीब 3,802 करोड़ का हिसाब विभाग के पास नहीं है. सबसे अधिक करीब 992.01 करोड़ रुपये का हिसाब विभाग के पास नहीं है.
दो माह में मात्र 64 करोड़ का समायोजन : वित्त विभाग ने एसी बिलों की स्थिति की समीक्षा पांच मई 2015 को की थी. इसमें करीब 3867.27 करोड़ रुपये का डीसी बिल लंबित था.
21 जुलाई की हुई वित्त विभाग की समीक्षा में पाया गया है कि सभी विभाग मिला कर कुल 64 करोड़ राशि का ही समायोजन कर पाये हैं. इस अवधि में ग्रामीण विकास विभाग में एसी बिलों की राशि बढ़ गयी. दो माह पूर्व ग्रामीण कार्य विभाग का 988.98 करोड़ रुपये के एसी बिल का समायोजन नहीं हो पाया था. अंतिम समीक्षा में यह राशि बढ़ कर 992.01 करोड़ रुपये हो गया.
वित्त विभाग के आदेश के आलोक में कृषि विभाग ने भी सभी निदेशालयों को निर्देश भेज दिया है. विभागीय सचिव डॉ नितिन मदन कुलकर्णी ने कहा है कि कोषागार संहिता के नियम 300 के तहत तत्कालीन व्यय के लिए ही राशि की निकासी का प्रावधान है.
विशेष परिस्थिति में ही अग्रिम निकासी की जा सकती है. चालू वित्तीय वर्ष में अग्रिम निकासी का समायोजन नहीं किया जाना वित्तीय अनुशासनहीनता का लक्षण है.
इस प्रकार पूर्व के लंबित विपत्रों का समायोजन पांच अगस्त तक कर विभाग को अवगत करायें. लंबित एसी विपत्रों की प्राथमिकता पर समीक्षा की जानी चाहिए. बैंक खाते जो वित्त विभाग की सहमति के बगैर खोले गये हैं, उसे अविलंब बंद किया जाये. उसकी राशि सरकारी खाते में जमा करायी जाये. सरकारी कर्मी या कार्य एजेंसियों को अगर अग्रिम राशि दी जा गयी है, तो इसका समायोजन अविलंब कराया जाये.

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