मंत्रियों को भी घूस लेते पकड़ सकेगा एसीबी

एंटी करप्शन ब्यूरो के गठन और कार्यप्रणाली की नियमावली को मंजूरी रांची : ज्य में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) किसी भी लोक सेवक (मंत्री, विधायक, अधिकारी सहित अन्य) को घूस लेते रंगे हाथ गिरफ्तार कर सकता है. ट्रैप केस के मामले में प्राथमिकी दर्ज करने के लिए सरकार की अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होगी. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 5, 2015 12:59 AM
एंटी करप्शन ब्यूरो के गठन और कार्यप्रणाली की नियमावली को मंजूरी
रांची : ज्य में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) किसी भी लोक सेवक (मंत्री, विधायक, अधिकारी सहित अन्य) को घूस लेते रंगे हाथ गिरफ्तार कर सकता है. ट्रैप केस के मामले में प्राथमिकी दर्ज करने के लिए सरकार की अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होगी. सरकार ने निगरानी ब्यूरो के बदले एसीबी के गठन और कार्यप्रणाली से संबंधित नियमावली को मंजूरी दे दी है. मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इसका फैसला लिया गया. एसीबी को निगरानी ब्यूरो के मुकाबले अधिक शक्तियां दी गयी हैं.
सार्वजनिक नहीं की जायेंगी सूचनाएं : किसी भी लोक सेवक के सिलसिले में भ्रष्टाचार से संबंधित सूचना एकत्रित करने और सत्यापन के लिए एसीबी को सरकार की अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी. सूचना एकत्रित करने और सत्यापन से संबंधित काम गोपनीय तरीके से किये जायेंगे.
इसकी सूचना किसी भी कीमत पर सार्वजनिक नहीं की जायेगी. हालांकि जनप्रतिनिधियों, प्रथम श्रेणी के अधिकारियों (अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी), विभागाध्यक्ष स्तर के अधिकारियों के सिलसिले में प्रारंभिक जांच करने के लिए सरकारी की अनुमति की आवश्यकता होगी. किसी भी मामले में प्राथमिकी दर्ज करने के लिए भी सर,कार की अनुमति की आवश्यकता होगी. पहले निगरानी ब्यूरो को सूचना एकत्रित करने और सत्यापन के लिए भी सरकार से अनुमति लेनी पड़ती थी.
भ्रष्टाचार पर नियंत्रण के लिए राज्य में सात थाने बनेंगे
– सभी प्रमंडलों में एक-एक थाने स्थापित किये जायेंगे
– धनबाद में एसीबी का एक थाना होगा
– रांची में पहले से चल रहे निगरानी के एक मात्र थाने को भ्रष्टाचार के बड़े मामले की जांच के लिए चिह्न्ति किया गया है. इस थाने का क्षेत्रधिकार पूरा राज्य होगा
– न्यायिक प्रक्रिया को सुचारु रूप से चलाने के लिए हर थाने में लोक अभियोजक होंगे. ये मुख्य लोक अभियोजक के नेतृत्व में काम करेंगे
– अपर लोक अभियोजक और लोक अभियोजकों की नियुक्ति निगरानी आयुक्त की अध्यक्षता में गठित समिति करेगी
– एसीबी को दो पक्षों के बीच भ्रष्टाचार की सूचना पर कार्यालय में छापा मारने का अधिकार होगा.
भ्रष्टाचार की प्रारंभिक जांच शुरू करनेके लिए किससे लेनी होगी अनुमति
– जनप्रतिनिधियों के मामले में मुख्य सचिव के माध्यम से मुख्यमंत्री से
– आइएएस, आइपीएस, आइएफएस के अलावा राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के मामले में मुख्य सचिव से
– द्वितीय श्रेणी के अधिकारियों के मामले में निगरानी आयुक्त से
– तृतीय और चतुर्थ वर्गीय कर्मियों के लिए भी निगरानी ब्यूरो प्रमुख से
कैसा होगा एसीबी
– 350 से बढ़ा कर 608 पद स्वीकृत किये गये
– दो डीआइजी, तीन एसपी, सात डीएसपी, 38 इंस्पेक्टर, 19 एसआइ, 92 सिपाही, एक मुख्य लोक अभियोजक, आठ अपर लोक अभियोजक के नये पद सृजित होंगे
– इसमें काम करनेवाले पदाधिकारियों व कर्मचारियों को उनके मूल वेतन की 25 फीसदी राशि प्रोत्साहन राशि दी जायेगी

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