सुशील की हत्या नहीं होती, तो मैं मारा जाता

गैंगस्टर विकास तिवारी ने पुलिस को दिया बयान, कहा रांची : सुशील श्रीवास्तव हत्याकांड में गिरफ्तार भोला पांडेय गिरोह के सरगना विकास तिवारी ने पुलिस को दिये बयान में कहा है कि अगर वह सुशील श्रीवास्तव की हत्या नहीं करवाता, तो सुशील श्रीवास्तव उसकी हत्या करवा देता. पुलिस के आधिकारिक सूत्र ने बताया कि विकास […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 11, 2015 2:20 AM
गैंगस्टर विकास तिवारी ने पुलिस को दिया बयान, कहा
रांची : सुशील श्रीवास्तव हत्याकांड में गिरफ्तार भोला पांडेय गिरोह के सरगना विकास तिवारी ने पुलिस को दिये बयान में कहा है कि अगर वह सुशील श्रीवास्तव की हत्या नहीं करवाता, तो सुशील श्रीवास्तव उसकी हत्या करवा देता. पुलिस के आधिकारिक सूत्र ने बताया कि विकास तिवारी ने बताया है कि रंगदारी की राशि को लेकर दोनों गिरोहों के बीच वर्चस्व की लड़ाई लंबे समय से चल रही है.
कुजू से लेकर खलारी तक दोनों गिरोह की ओर से हर माह दो करोड़ रुपये की वसूली की जाती है. किशोर पांडेय के जिंदा रहने तक दोनों गिरोह को बराबर-बराबर राशि मिलती थी. लेकिन सुशील श्रीवास्तव ने पिछले साल जमशेदपुर में किशोर पांडेय की हत्या करवा दी. किशोर की हत्या के बाद सुशील श्रीवास्तव की हत्या से पहले तक उसके गिरोह के अपराधी हर माह डेढ़ करोड़ और पांडेय गिरोह 50 लाख रुपये वसूल रहे थे. सुशील श्रीवास्तव इस 50 लाख रुपये पर नजर जमाये हुए था.
इससे पहले सुशील ने ही शूटर अमरेंद्र तिवारी के जरिये भाेला पांडेय की हत्या करवा दी थी. पुलिस अधिकारी के मुताबिक विकास तिवारी ने बताया है कि किशोर पांडेय की हत्या के बाद उसे पांडेय गिरोह का प्रमुख बनाया गया था. इसके बाद सुशील श्रीवास्तव और उसके गिरोह के अपराधी लगातार इस कोशिश में थे उसकी (विकास तिवारी) हत्या हो. इस तरह अगर उसने सुशील श्रीवास्तव की हत्या नहीं करवाया होता, तो वह भोला पांडेय व किशोर पांडेय की तरह उसकी भी हत्या करवा देता.
रंगदारी घटने से गिरोह के लोग थे परेशान
विकास तिवारी ने पुलिस को यह भी बताया है कि भोला पांडेय व किशोर पांडेय के मारे जाने के बाद सुशील श्रीवास्तव ने ट्रांसपोर्टरों पर इस बात का दवाब बनाने लगा था कि पांडेय गिरोह को एक रुपया भी नहीं मिले. इसका असर भी दिखने लगा था. पांडेय गिरोह को मिलने वाली राशि कम हो रही थी. इस कारण गिरोह के लोगों को परेशानी हो रही थी. गिरोह के सदस्यों को गैंग में रोकना भी मुश्किल होने लगा था. इस कारण भी सुशील श्रीवास्तव की हत्या करना जरूरी हो गया था.

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