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53% बच्चाें को अंकों की पहचान नहीं

रांची: मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री व अधिकारी राज्य में गुणवत्ता युक्त शिक्षा की बात करते हैं, लेकिन गुणवत्ता युक्त शिक्षा के लिए गुणवत्ता युक्त शिक्षकों का होना भी अनिवार्य है. शिक्षा विभाग वर्ष 2015 को गुणवत्ता युक्त शिक्षा वर्ष के रूप में मना रहा है. राज्य में अब भी अप्रशिक्षित शिक्षकाें के भरोसे पठन-पाठन का काम […]

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रांची: मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री व अधिकारी राज्य में गुणवत्ता युक्त शिक्षा की बात करते हैं, लेकिन गुणवत्ता युक्त शिक्षा के लिए गुणवत्ता युक्त शिक्षकों का होना भी अनिवार्य है. शिक्षा विभाग वर्ष 2015 को गुणवत्ता युक्त शिक्षा वर्ष के रूप में मना रहा है.

राज्य में अब भी अप्रशिक्षित शिक्षकाें के भरोसे पठन-पाठन का काम चल रहा है. प्राथमिक से लेकर विश्वविद्यालय स्तर तक योग्य िशक्षकाें की कमी है. शिक्षा की स्थिति पर तैयार रिपोर्ट असर-2014 में झारखंड में प्राथमिक शिक्षा की स्थिति की जो जानकारी दी गयी है, उसके अनुसार झारखंड के बच्चे गणित में काफी कमजोर हैं.

कक्षा एक 53.7 फीसदी बच्चों को अंक का ज्ञान नहीं है. वे एक से नौ तक के अंक नहीं पहचानते हैं. कक्षा आठ के 49 फीसदी बच्चे भाग करना नहीं जानते, जबकि कक्षा दो के 2.3 फीसदी, कक्षा तीन के 6.5 फीसदी, कक्षा चार के 13.1 फीसदी, कक्षा पांच के 21.3 फीसदी, कक्षा छह के 27.9 फीसदी, कक्षा सात के 39.1 फीसदी बच्चे ही भाग बनना जानते हैं. कक्षा दो के 59 फीसदी बच्चे एक से नौ का अंक नहीं पहचानते हैं. अंगरेजी में भी राज्य के सरकारी स्कूलों के बच्चों की स्थिति काफी कमजोर है. कक्षा एक के 63.6 फीसदी बच्चों को ए बी सी डी की भी जानकारी नहीं है. कक्षा तीन के 23.2 फीसदी बच्चे अंगरेजी के बड़े अक्षर नहीं पढ़ सकते हैं. बच्चों में किताब पढ़ने की स्थिति भी ठीक नहीं है. कक्षा तीन के 13.9 फीसदी बच्चे अक्षर भी नहीं पढ़ पाते हैं. कक्षा एक के 55.7 फीसदी बच्चे को अक्षर का ज्ञान भी नहीं है.

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