थम नहीं रहा है झारखंड में बाल विवाह

रांची: झारखंड में रैपीड सर्वे ऑन चिल्ड्रेन के आंकड़े चौंकानेवाले हैं. देश भर में महिला और बाल विकास मंत्रालय ने यह सर्वेक्षण कराया है. इसमें आंगनबाड़ी केंद्र, घरेलू महिलाएं (19 से 49 वर्ष तक), स्वास्थ्य सेवाएं, पोषाहार और अन्य इंडिकेटर शामिल किये गये थे. आंकड़ों के जरिये यह बात सामने आयी है कि अब भी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 28, 2015 1:08 AM
रांची: झारखंड में रैपीड सर्वे ऑन चिल्ड्रेन के आंकड़े चौंकानेवाले हैं. देश भर में महिला और बाल विकास मंत्रालय ने यह सर्वेक्षण कराया है. इसमें आंगनबाड़ी केंद्र, घरेलू महिलाएं (19 से 49 वर्ष तक), स्वास्थ्य सेवाएं, पोषाहार और अन्य इंडिकेटर शामिल किये गये थे. आंकड़ों के जरिये यह बात सामने आयी है कि अब भी राज्य में 19.8 प्रतिशत लड़कियों का विवाह 18 वर्ष से कम आयु में हो रहा है.

यह शहरी क्षेत्र में अधिक है. अनुसूचित जनजाति में 20.5 फीसदी बच्चियों का विवाह अब भी कम आयु में कर दिया जा रहा है. पिछड़ी जाति में 19.4 फीसदी और अनुसूचित जाति के लोगों द्वारा 19.3 प्रतिशत बच्चियों का विवाह कर दिया जा रहा है. वहीं 21 वर्ष से कम आयु में विवाह करनेवाले लड़कों की संख्या 41.7 फीसदी है. युवावस्था में पहुंचनेवाली 7.3 प्रतिशत लड़कियां अब भी झारखंड में बिन ब्याही रह जाती हैं.

साक्षरता दर 15 से 24 आयु वर्ग के बच्चों में अधिक : झारखंड में साक्षरता के प्रति 15 से 24 आयु वर्ग के बच्चे अधिक जागरूक हैं. सर्वेक्षण में यह बताया गया है कि कैसे इस आयु वर्ग के बच्चों में सर्वाधिक 84 प्रतिशत साक्षरता है. ग्रामीण इलाकों में यह दर 81.3 फीसदी और शहरी इलाकों में 93.7 फीसदी साक्षरता दर पायी गयी. अनुसूचित जाति के 82.2 फीसदी बच्चे, अनुसूचित जनजाति में 80.8 फीसदी और पिछड़ी जाति के बच्चों में 87.2 फीसदी बच्चे शिक्षित हैं. पांच वर्ष तक के बच्चों में प्री स्कूलिंग 66.1 फीसदी है. छह साल के बच्चों में 68 फीसदी, सात वर्ष से अधिक आयु के बच्चों में 68.1 प्रतिशत साक्षरता दर पायी गयी है. राज्य के ग्रामीण इलाकों के आंगनबाड़ी केंद्रों में भी 42 फीसदी बच्चों को पढ़ाये जाने की बातें सामने आयीं. निजी संस्थान जैसे प्ले स्कूल, नर्सरी में 18.7 प्रतिशत बच्चों को पढ़ाने की बातें कही गयी हैं.
प्राथमिक शिक्षा भी नहीं मिल रही है बच्चों‍ को : अब भी राज्य भर में 35.1 फीसदी बच्चे प्राथमिक स्कूली शिक्षा से वंचित हैं. इसमें अनुसूचित जाति के 35.1 फीसदी, अनुसूचित जनजाति के 37.8 प्रतिशत और पिछड़ी जाति के 32.7 फीसदी बच्चे प्री स्कूलिंग से अब भी वंचित हैं.
बच्चों के जन्म प्रमाण पत्र बनाने में लोगों की दिलचस्पी कम
सर्वेक्षण के अनुसार ग्रामीण इलाकों में बच्चों का जन्म प्रमाण पत्र बनाने में अब भी जागरूकता की कमी है. पांच वर्ष से कम आयु के सिर्फ 34.9 फीसदी बच्चों का जन्म निबंधित है. सिर्फ 13.6 फीसदी बच्चों को पास जन्म प्रमाण पत्र है. जन्म निबंधन के मामले में अनुसूचित जाति में सबसे अधिक जागरूकता है. शहरी क्षेत्रों में अभिभावक अपने बच्चों के जन्म तिथि का पंजीकरण कराने में अधिक दिलचस्पी लेते हैं.

Next Article

Exit mobile version