अक्सर सुखाड़ झेलने वाले पलामू प्रमंडल के लेस्लीगंज प्रखंड के हरेराम सहित अन्य किसानों ने खरीफ-2011 के लिए मौसम आधारित फसल बीमा योजना के तहत अपनी फसलों का बीमा कराया था. मौसम से हुई फसल क्षति के बाद नियमानुसार इन्हें 45 दिनों के अंदर क्षतिपूर्ति भुगतान करना था, पर चार साल बाद भी यह भुगतान नहीं हुआ है. भारतीय कृषि बीमा कंपनी के अनुसार परंपरागत कृषि बीमा भुगतान अधिक समय ले सकता है, पर इसका भुगतान अगले खरीफ या रबी मौसम के पहले हो जाना चाहिए. वहीं मौसम आधारित बीमा दावों का भुगतान बीमा या जोखिम अवधि के समाप्त होने के 45 दिनों के भीतर निश्चित रूप से कर दिया जाता है.
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सवा लाख किसानों का कृषि बीमा लाभ लंबित
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रांची: किसानों को फसल बीमा योजना का लाभ नहीं मिल रहा है. इससे कृषि बीमा करा चुके राज्य भर के करीब सवा लाख (मौसम आधारित बीमा व कृषि बीमा वाले) किसानों में नाराजगी है. इन्हें इनकी फसलों की क्षतिपूर्ति के रूप में करीब 15 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाना है. अक्सर सुखाड़ झेलने वाले […]

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रांची: किसानों को फसल बीमा योजना का लाभ नहीं मिल रहा है. इससे कृषि बीमा करा चुके राज्य भर के करीब सवा लाख (मौसम आधारित बीमा व कृषि बीमा वाले) किसानों में नाराजगी है. इन्हें इनकी फसलों की क्षतिपूर्ति के रूप में करीब 15 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाना है.
दरअसल इस विलंब की वजह राज्य सरकार की लापरवाही है. पूर्व की सरकारें गत चार वर्षों से बीमा भुगतान मद की राशि राष्ट्रीय कृषि बीमा कंपनी को भुगतान नहीं कर रही है. इससे यह भुगतान लंबित है. पहले किसानों को क्षतिपूर्ति का भुगतान नकद होता था, पर खरीफ-2012 से किसानों के खाते में यह रकम देनी है. खरीफ-2011 तथा 2012 में मौसम आधारित कृषि बीमा योजना कृषि निदेशालय से नियंत्रित थी. किसानों के बीमा संबंधी आंकड़े भी समय पर तैयार नहीं किये जा सके थे. इन मिले-जुले कारणों से तथा सबसे बढ़ कर सरकार की लापरवाही का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है.
दो प्रकार की बीमा : कृषि बीमा योजना दो तरह की होती है. मौसम आधारित फसल बीमा योजना तथा राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना. राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना कृषक को उपज में हुई कमी का ही हर्जाना देता है, जबकि मौसम आधारित फसल बीमा इस तथ्य पर आधारित है कि मौसम की प्रतिकूल स्थिति फसल की पैदावार पर प्रतिकूल असर डाल सकती है. खरीफ मौसम में अधिक या न्यून वर्षा तथा रबी मौसम में पाला, गरमी ,आर्द्रता, बेमौसम बारिश से होनेवाले फसल नुकसान का भुगतान इसमें होता है. झारखंड में एक लाख 24 हजार किसानों का इन दोनों प्रकार का बीमा भुगतान लंबित है.
चार साल में भी भुगतान नहीं
खरीफ-11 के बाद से अब तक भुगतान लंबित है. बीमित कृषकों संबंधी आंकड़ा तथा राज्य सरकार की अोर से भुगतान राशि नहीं मिलने के कारण ऐसा हुआ है. मैं यहां अप्रैल माह में अाया हूं. इसके बाद सभी जिलों के बैंकों से किसान तथा बीमा संबंधी अांकड़े एक खास फॉरमैट में मंगवाया है. सहकारिता विभाग से 97 लाख रुपये भुगतान के लिए मिला है. जल्द ही किसानों को भुगतान शुरू होगा.
एचके पांडा, क्षेत्रीय प्रबंधक, राष्ट्रीय कृषि बीमा कंपनी
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