10 सालों में भी नहीं हटाये जा सके खटाल

रांची : राज्य सरकार गत दस वर्षों में राजधानी से खटाल नहीं हटा सकी है़ खटालों काे शहर के बाहर पुनर्वास की योजना पर एक कदम तक नहीं उठाया जा सका है. वर्ष 2004 में झारखंड हाइकोर्ट ने एक जनहित याचिका (सं-149/03) पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को योजना बना कर खटालों को शहर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 30, 2015 12:24 AM
रांची : राज्य सरकार गत दस वर्षों में राजधानी से खटाल नहीं हटा सकी है़ खटालों काे शहर के बाहर पुनर्वास की योजना पर एक कदम तक नहीं उठाया जा सका है. वर्ष 2004 में झारखंड हाइकोर्ट ने एक जनहित याचिका (सं-149/03) पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को योजना बना कर खटालों को शहर के बाहर बसाने का आदेश दिया था.
सफाई, स्वच्छता व यातायात व्यवस्था का सवाल खड़ा करते हुए खटालों को शहर से हटाने संबंधी जनहित याचिका दायर हुई थी. अदालत ने खटालों व इनके कर्मियों का पुनर्वास कराने का निर्देश दिया था़ दस साल बाद भी पुनर्वास तो दूर, खटालों के लिए जमीन तक चिह्नित नहीं की जा सकी. शहर की सड़कों पर गाय-भैंसों का टहलता बदस्तूर जारी है.
900 खटाल हटाने की प्लानिंग पर खर्च हुए 25.34 करोड़ : खटालों को शहर से हटाने और उनके पुनर्वास से संबंधित उच्च न्यायालय के आदेश के बाद पशुपालन विभाग ने नाबार्ड की सहयोगी संस्था नैबकॉन से खटाल पुनर्वास प्रोजेक्ट की डीपीआर बनवायी थी. नैबकॉन को प्रोजेक्ट की डीपीआर बनाने के लिए 25.34 करोड़ रुपये बतौर फीस अदा किये गये थे. तब शहर में छोटे-बड़े 900 खटाल चिह्नित किये गये थे. इन खटालों को शहर के बाहर स्थानांतरित करने की योजना थी.
जिला प्रशासन को अब तक नहीं मिली जमीन : खटालों के पुनर्वास के लिए डीपीआर तैयार होने के बाद पशुपालन विभाग ने जिला प्रशासन से खटाल पुनर्वास के लिए जमीन उपलब्ध कराने का आग्रह किया था. खटालों के पुनर्वास के लिए झिरी, नगड़ी व नामकुम में स्थल चयन किया गया. जमीन अधिग्रहण के लिए जिला प्रशासन को सात करोड़ रुपये भी उपलब्ध कराये गये थे, पर जिला प्रशासन विभाग को आज तक जमीन उपलब्ध नहीं करा पाया है.
राजभवन के सामने भी खटाल : राजधानी में खटालों की संख्या राज्य सरकार के आंकड़ों से कहीं ज्यादा है. शहर के सभी प्रमुख स्थलों पर खटाल मौजूद हैं. भारी ट्रैफिक के दौरान भी मवेशियों की आवाजाही चलती रहती है. राजभवन के सामने नागा बाबा खटाल को चार साल पहले अतिक्रमण मुक्त कराया गया था. वहां फिर से खटाल जम गये हैं. मोरहाबादी मैदान में भी खटाल खुल गया है. लालपुर, रातू रोड, डोरंडा, कांके रोड, हरमू, कोकर, बरियातू समेत शहर के सभी इलाकों में बेधड़क नये खटाल खोले जा रहे हैं.

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