1097 छात्राओं में से सिर्फ पांच को रोजगार

तीन राजकीय महिला पॉलिटेक्निक में पठन पाठन संबंधी कमियां रांची : महालेखाकार (सीएजी) ने राज्य के तीनों महिला पॉलिटेक्निक का अॉडिट किया है. इन संस्थानों में पठन-पाठन के संसाधनों की घोर कमी पायी गयी है़ पढ़ाई का स्तर निम्न होने का असर यह है कि यहां की छात्राअों को रोजगार नहीं मिल रहा है. सत्र […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 30, 2015 12:34 AM
तीन राजकीय महिला पॉलिटेक्निक में पठन पाठन संबंधी कमियां
रांची : महालेखाकार (सीएजी) ने राज्य के तीनों महिला पॉलिटेक्निक का अॉडिट किया है. इन संस्थानों में पठन-पाठन के संसाधनों की घोर कमी पायी गयी है़ पढ़ाई का स्तर निम्न होने का असर यह है कि यहां की छात्राअों को रोजगार नहीं मिल रहा है. सत्र 2009-12 तथा 2010-13 में महिला पॉलिटेक्निक रांची, जमशेदपुर व बोकारो की कुल 1097 छात्राअों में से सिर्फ पांच को ही रोजगार (प्लेसमेंट) मिला है.
ये सभी राजकीय महिला पॉलिटेक्निक, जमशेदपुर के मेकेनिकल (चार) तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशन (एक) ब्रांच की छात्राएं थी. विज्ञान व प्रावैधिकी (अब उच्च व तकनीकी शिक्षा) विभाग के इन तकनीकी शिक्षण संस्थानों में न तो शिक्षक हैं, न उपकरण अौर किताबें हैं. तीनों महिला पॉलिटेक्निक के इलेक्ट्रिकल ब्रांच की प्रयोगशाला में जरूरी 1145 उपकरणों के बजाय सिर्फ 287 मौजूद हैं. इस ब्रांच के वर्कशॉप में 1551 की जगह सिर्फ 784 उपकरणों से काम चलाया जा रहा है. इलेक्ट्रॉनिक्स तथा मेकेनिकल ब्रांच की प्रयोगशाला व कार्यशाला का भी यही हाल है.
सभी पॉलिटेक्निक की लाइब्रेरी की स्थिति भी इससे अलग नहीं है. वहां पर्याप्त संख्या में अद्यतन किताबें नहीं हैं. पुस्तकालय व उपकरण सहित पठन-पाठन के अन्य साधनों को दुरुस्त करने के लिए इन तीनों संस्थानों को केंद्र सरकार से 3.2 करोड़ रु की सहायता मिली थी़ सितंबर 2010 से अगस्त 2013 के बीच मिला यह पैसा केंद्र की पॉलिटेक्निक उन्नयन योजना का था़ इसमें से 2.41 करोड़ रु विभागीय क्रय समिति के अनुमोदन सहित अन्य कारणों से बेकार रह गये. यह राशि निर्गत होने के एक वर्ष के अंदर खर्च की जानी थी. इस पूरे मामले से विभागीय कार्यशैली का पता चलता है. रही-सही कसर राजकीय महिला पॉलिटेक्निकों में शिक्षकों की कमी से पूरी हो जा रही है. इन संस्थानों में शिक्षकों (सभी श्रेणी) के कुल 121 पदों के विरुद्ध सिर्फ 42 शिक्षक कार्यरत हैं.

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