इस बीच यदि किसी को असहनीय पीड़ा हो, तो भी वहां बैठने की कोई जगह नहीं है. एक ही कमरे या केबिन में एक ही टेबुल पर दो-तीन डॉक्टर बैठ कर अलग-अलग रोग से पीड़ित रोगियों को देखते व उनका इलाज करते हैं. अस्पताल में रोज चार-पांच डॉक्टर बिना किसी निश्चित समय सारिणी के उपस्थित पाये गये हैं. अस्पताल में दवा व उपकरण रखने तक की व्यवस्था नहीं है. मरीजों के अलावा परिजन यहां तक कि नर्स व महिला कर्मचारियों के लिए भी सुरक्षित कमरा, बाथरूम व शौचालय यहां नहीं है. सुरक्षा के मद्देनजर रात को यह समस्या अौर विकट हो जाती है.
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सदर अस्पताल रांची का हाल यहां इलाज नहीं एहसान किया जाता है…
रांची: गैर सरकारी संस्था झारखंड नागरिक प्रयास की रिपोर्ट के मुताबिक सदर अस्पताल, रांची अपर्याप्त जगह तथा आधारभूत संसाधनों के अभाव में किसी तरह चलाया जा रहा है. यहां के माहौल से ऐसा लगता है जैसे यहां मरीजों का इलाज नहीं उनपर एहसान किया जाता है. अस्पताल के महिला वार्ड में मरीजों की भारी भीड़ […]
रांची: गैर सरकारी संस्था झारखंड नागरिक प्रयास की रिपोर्ट के मुताबिक सदर अस्पताल, रांची अपर्याप्त जगह तथा आधारभूत संसाधनों के अभाव में किसी तरह चलाया जा रहा है. यहां के माहौल से ऐसा लगता है जैसे यहां मरीजों का इलाज नहीं उनपर एहसान किया जाता है. अस्पताल के महिला वार्ड में मरीजों की भारी भीड़ होती है, पर वहां जरूरत के हिसाब से केबिन व काउंटर तक नहीं हैं. अोपीडी में घंटों खड़े रह कर मरीजों को अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है.
इस अस्पताल में मरीजों तथा उनके परिजनों को सुई, दवा, नर्स व डॉक्टर के लिए भी पूरे कैंपस में भटकना पड़ता है. मरीजों को यह पता नहीं होता कि कहां पुरजा कटवाना है, कहां जांच करवानी है, कौन सा वार्ड किधर है या फिर ड्रेसिंग कहां होगी. असहनीय पीड़ा या इमरजेंसी के वक्त सबकुछ भगवान भरोसे होता है. इस अस्पताल के अोटी में स्टरलाइजेशन की व्यवस्था नहीं है. रैबिज के इंजेक्शन की उपलब्धता भी अनियिमत है. रिपोर्ट में जननी सुरक्षा योजना तथा बंध्याकरण में लाभुकों तथा प्रमोटरों को मिलने वाली रकम की भी निगरानी करने तथा इसकी जांच की जरूरत बतायी गयी है.
कार्यशैली
रिपोर्ट के मुताबिक सदर अस्पताल में अधिकारियों, डॉक्टरों व कर्मचारियों का ड्यूटी से गायब रहना आम है. कार्यस्थल पर लापरवाही, गप्पबाजी, संवेदनहीनता तथा आपसी सहयोग व समन्वय का अभाव यहां साफ दिखता है. मरीजों को निजी क्लिनिक में आने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. कुछ डॉक्टर सदर अस्पताल के सामने ही निजी क्लिनिक चलाते हैं.
सुविधाएं नहीं
पूरे अस्पताल में किसी एक स्थान को छोड़ शुद्ध पेयजल की व्यवस्था कहीं नहीं है. यहां तक कि सिविल सर्जन कायार्लय में भी नहीं है. अाॅपरेशन की जगह के आसपास भी गंदगी रहती है. अस्पताल परिसर में शौचालय भी नहीं है.
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