निदेशक रहते हुए श्री कुमार ने एकल निविदा के आधार पर अधिक कीमत पर दवा खरीदने का निर्देश दिया था. इसमें 15 करोड़ रुपये के घोटाले की बात सामने आयी है. एक सामाजिक कार्यकर्ता की पहल पर इस मामले में जांच शुरू हुई है.
श्री मरांडी ने पत्र में लिखा है कि संजय कुमार दवा घोटाले के मुख्य आरोपी हैं. उच्च न्यायालय के निर्देश पर अनियमितता की जांच हो रही है. झारखंड में ईमानदार और स्वच्छ प्रशासन देना है, तो मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव जैसे संवेदनशील पद से इनको मुक्त करना होगा. उन्होंने प्रधानमंत्री से कहा है कि आपने वादा किया था कि न खायेंगे, न खाने देंगे़ ऐसे में यह वादा बेमानी होगा. जांच की प्रक्रिया जब तक पूरी नहीं होती है, तब संजय कुमार को पद से मुक्त रखा जाये.