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58.47 लाख मुकदमों का बोझ हुआ कम

रांची: राज्य की अदालतों पर मुकदमों का बोझ कम करने में राष्ट्रीय लोक अदालत कारगर साबित हो रही है. अदालत में जाने से पहले ही 50 लाख से अधिक मामलों का निबटारा हो गया. राज्य में दिसंबर 2014 से अगस्त 2015 तक आठ बार राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया. इसमें 58 लाख, 47 […]

रांची: राज्य की अदालतों पर मुकदमों का बोझ कम करने में राष्ट्रीय लोक अदालत कारगर साबित हो रही है. अदालत में जाने से पहले ही 50 लाख से अधिक मामलों का निबटारा हो गया. राज्य में दिसंबर 2014 से अगस्त 2015 तक आठ बार राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया.

इसमें 58 लाख, 47 हजार, 374 मामलों का निष्पादन हुआ. वहीं 893 करोड़, 54 लाख, 48 हजार, 970 रुपये का वितरण हुआ. राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकार (नालसा) के निर्देश पर झालसा की ओर से लगातार लोक अदालत का आयोजन कर मामलों का निबटारा किया जा रहा है. लोक अदालत में निष्पादित अधिकांश मामले प्री लिटिगेटेड थे, जिनका निष्पादन अदालत में जाने से पहले ही हो गया.

इसमें राज्य की विभिन्न अदालतों में लंबित लाखों मामले का भी निष्पादन हुआ है. 12 सितंबर को भी झालसा की ओर से राज्य में नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है. गौरतलब है कि देश की अन्य अदालतों की तरह झारखंड हाइकोर्ट भी लंबित मुकदमों के बोझ तले दबी हुई है. झारखंड हाइकोर्ट में लगभग 79 हजार व राज्य की निचली अदालतों में लगभग तीन करोड़ मामले लंबित हैं. नालसा की पहल पर झालसा की ओर से मामलों के त्वरित निष्पादन के लिए लोक अदालत जैसे वैकल्पिक माध्यमों का उपयोग किया जा रहा है.

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