उत्पाद विभाग के हर कर्मी की कमाई लाखों में!

घूस के लिए क्या-क्या करते हैं उत्पाद विभाग के कर्मी गुरुवार को उत्पाद विभाग के सेवानिवृत्त सहायक आयुक्त बिहारी लाल मंडल के ठिकानों पर निगरानी ब्यूरो ने छापा मारा. उत्पाद विभाग के इस अफसर ने नाजायज तरीके से अकूत संपत्ति अर्जित की थी. इस अधिकारी के पास से अब तक करोड़ों की संपत्ति मिली है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 12, 2015 7:24 AM
घूस के लिए क्या-क्या करते हैं उत्पाद विभाग के कर्मी
गुरुवार को उत्पाद विभाग के सेवानिवृत्त सहायक आयुक्त बिहारी लाल मंडल के ठिकानों पर निगरानी ब्यूरो ने छापा मारा. उत्पाद विभाग के इस अफसर ने नाजायज तरीके से अकूत संपत्ति अर्जित की थी. इस अधिकारी के पास से अब तक करोड़ों की संपत्ति मिली है.
45 लाख का सोना, दर्जनों पासबुक, बैंकों में लाखों की राशि, 63 जगहों पर जमीन के दस्तावेज. इस अधिकारी की अकूत संपत्ति इस विभाग की बानगी भर है. सूचना है कि पूरा महकमा ही माला-माल है. हर माह लाखों की उगाही हाेती है. प्रभात खबर तथ्यों व सूचनाओं पर विभाग में चल रहे भ्रष्टाचार के खुले खेल को छाप रहा है.
विवेक चंद्र
रांची : झारखंड के उत्पाद विभाग के अधिकारियों की कमाई हर महीने लाखों रुपये की है. विभागों में करोड़पति भरे पड़े हैं. सहायक आयुक्त स्तर के अधिकारी महीने में 10 लाख रुपये तक कमाते हैं, तो छोटा कर्मचारी भी औसतन एक लाख रुपये कमा लेता है. यह केवल घूस की राशि है, उनका वेतन अलग से है.
शराब की सभी दुकानों से उत्पाद विभाग के अफसरों, दारोगा को घूस की फिक्स राशि हर महीने मिलती है. घूस की रकम दुकानों की पोजिशन के मुताबिक 20 से 50 हजार रुपये तक निर्धारित है. यह रकम उत्पाद विभाग के सहायक आयुक्त, इंस्पेक्टर, दारोगा से लेकर सिपाही और कर्मचारी तक के बीच बंटती है.
रांची में हर महीने 25 लाख की उगाही : उत्पाद विभाग के अफसर केवल रांची में ही शराब का अवैध व्यापार करा हर महीने 25 लाख रुपये से अधिक कमाते हैं. उत्पाद विभाग के अफसर शराब फैक्ट्रियों, परचुनिया (दो नंबर की शराब का व्यापारी), शराब की दुकानों, हातों और अवैध ठियों से वसूली करते हैं.
रांची में शराब की 125 दुकानें हैं. एक दुकान से 25 हजार रुपये औसत घूस का हिसाब जोड़ने पर रकम 25 लाख हो जाती है. घूस का बड़ा हिस्सा बड़े अफसर रखते हैं. शेष कर्मचारियों में बंटता है. सूत्र बताते हैं कि रांची में पदस्थापित सहायक आयुक्त स्तर का अफसर हर महीने 10 लाख रुपये की ऊपरी आमदनी करता है.
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि घूस की रकम का अनुमान लगाते समय देसी शराब के व्यवसाय से वसूली जानेवाली राशि को शामिल नहीं किया गया है.
सिक्यूरिटी से भी काटा जाता है कमीशन : उत्पाद विभाग के अफसर और कर्मचारी बिना घूस लिये कोई काम नहीं करते हैं. शराब की लाइसेंसी दुकानों को पांच लाख रुपये सिक्यूरिटी के रूप में विभाग के पास जमा करने पड़ते हैं.
नियमानुसार, सिक्यूरिटी के रूप में जमा की गयी राशि लाइसेंसधारियों को एक वर्ष बाद वापस कर दी जाती है. शेष 19 पर परंतु, उत्पाद विभाग के अफसर इसमें 11 फीसदी काट कर लाइसेंसधारियों को लौटाते हैं. यानि, रांची के 125 शराब की दुकानों की कुल सिक्यूरिटी 6.25 करोड़ रुपये जमा होती है. इसका 11 फीसदी 68.75 लाख रुपये होता है. यह रकम विभाग के अफसरों-कर्मचारियों में उनकी हैसियत के मुताबिक बंटती है.
घूस के बदले कराते हैं दो नंबर शराब का धंधा : घूस के बदले में उत्पाद विभाग राज्य में दो नंबर की शराब का व्यापार कराता है. वह प्रिंट रेट से अधिक दर पर शराब बेचने की छूट देता है.
शराब बेचने का रिकॉर्ड मेंटेन करने के लिए अतिरिक्त समय देता है. शराब के अवैध ठियों, दुकानों और होटलों में परचुनिया से धंधा कराते हैं. अकेले रांची और आस-पास अवैध रूप से शराब परोसने के लगभग एक हजार होटल/ढाबे हैं. इन सबके अलावा शराब कारोबारियों को उत्पाद विभाग के छापे की जानकारी और विभाग द्वारा किये जा रहे कार्यों की सूचना भी पहुंचाते हैं.
एमआरपी से महंगी शराब मिलने के जिम्मेवार : शराब की लाइसेंसी दुकानों पर एमआरपी से अधिक कीमत वसूली जाती है. महंगी शराब के इस खेल में उत्पाद विभाग के दारोगा की पूरी मिली-भगत होती है. एमआरपी से ज्यादा वसूली गयी कीमत पर दारोगा का हिस्सा निर्धारित रहता है. शराब की छोटी से लेकर बड़ी बोतल की बढ़ी कीमत पर निर्धारित रकम उत्पाद विभाग के दारोगा की जेब में जाती है.
प्रति दुकान के हिसाब से
होता है घूस का बंटवारा
पदनाम घूस की रकम
सहायक उत्पाद आयुक्त 15 से 20 हजार रुपये
इंस्पेक्टर तीन से चार हजार रुपये
दारोगा 1500 से दो हजार रुपये
सिपाही/चपरासी 500 रुपये
नोट: घूस की रकम का अनुमान शराब व्यापारियों और उत्पाद अधिकारियों से मिली जानकारी के आधार पर प्रति दुकान के हिसाब से पूर्व की सरकारों के समय से ही यह दर चल रही है.

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