हालात. डेंगू के मरीज स्वस्थ होकर लौट रहे हैं रिम्स से, पर बुखार के इलाज के लिए निजी अस्पताल गयीं डॉक्टर

रांची: राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स के डॉक्टरों को भी यहां होनेवाले इलाज पर भरोसा नहीं है. रिम्स में मंगलवार को एक एेसा ही मामला प्रकाश में आया. एनेस्थिसिया की चिकित्सक डॉ ज्योति गुप्ता को बुखार की शिकायत पर मेडिसीन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ आरके झा की यूनिट में भरती कराया गया था. वह […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 16, 2015 5:58 AM
रांची: राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स के डॉक्टरों को भी यहां होनेवाले इलाज पर भरोसा नहीं है. रिम्स में मंगलवार को एक एेसा ही मामला प्रकाश में आया. एनेस्थिसिया की चिकित्सक डॉ ज्योति गुप्ता को बुखार की शिकायत पर मेडिसीन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ आरके झा की यूनिट में भरती कराया गया था.

वह कॉटेज संख्या 14 में सोमवार को भरती हुई थीं. जब डॉक्टर ने उनमें डेंगू के लक्षण नहीं बताये, तो वह मंगलवार की सुबह 11.30 बजे बिना डॉक्टरों को बताये अस्पताल से चली गयीं. जानकारी के अनुसार वह अब एक िनजी अस्पताल में अपना इलाज करा रही हैं.
नहीं थे डेंगू के लक्षण
डॉ ज्याेति का इलाज डॉ आरके झा की देखरेख में चल रहा था. मंगलवार को डॉ ज्योति की जांच की गयी. जांच के बाद डॉ झा ने मरीज में डेंगू के लक्षण नहीं पाये. मरीज को सिर्फ बुखार था. जांच में प्लेटलेट्स 1,30,000 हजार पाया गया था. उनका हीमोग्लोबिन एवं ल्यूकोसाइट मानक से कम था, जिसके आधार पर किसी संक्रमण की आशंका जतायी गयी.
डेंगू के 35 मरीज स्वस्थ हो लौटे
रिम्स के आइसोलेशन वार्ड में इस वर्ष डेंगू के 35 मरीजों का इलाज किया गया. इनमें से अधिकतर स्वस्थ हो कर अपने घर लौट चुके हैं. रिम्स के आइसोलेशन वार्ड के आंकड़ों की मानें, तो 25 जनवरी से 15 सितंबर 2015 तक कुल 45 मरीज भरती हुए, जिसमें 35 मरीज स्वस्थ होकर लौट चुके हैं. बाकी 10 मरीजों का इलाज चल रहा है. इसमें कुछ मरीज संदिग्ध भी हैं.
डेंगू के लक्षण : शरीर में असहाय दर्द, बुखार, प्लेटलेट्स की कमी व ब्लड प्रेशर कम हाेना.
बचाव के उपाय : मच्छरों को पनपने से रोकें, मच्छरदानी लगा कर सोने जाएं, आसपास गंदा पानी जमा नहीं होने दें, नाली में ब्लीचिंग का छिड़काव.
जांच के बाद डॉ ज्योति में जो लक्षण पाये गये, उसके आधार पर उन्हें डेंगू नहीं हो सकता. बुखार है, लेकिन यह कई कारणों से हाे सकता है. उनका प्लेटलेट्स भी कम नहीं है.
डॉ आरके झा विभागाध्यक्ष, मेडिसीन

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