सीनेट की विशेष बैठक: 51 शिक्षकों के सामंजन को स्वीकृति

रांची: डेढ़ घंटे में 12 मिनट तक हंगामे के बीच रांची विवि सीनेट की विशेष बैठक में 51 जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा के शिक्षकों को 15 जुलाई 1989 से सामंजन से संबंधित परिनियम को बुधवार को स्वीकृति मिल गयी. इसके पूर्व बैठक में सीनेट के सदस्य आपस में ही उलझ गये. बात धक्का-मुक्की तक पहुंच […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 17, 2015 6:29 AM
रांची: डेढ़ घंटे में 12 मिनट तक हंगामे के बीच रांची विवि सीनेट की विशेष बैठक में 51 जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा के शिक्षकों को 15 जुलाई 1989 से सामंजन से संबंधित परिनियम को बुधवार को स्वीकृति मिल गयी. इसके पूर्व बैठक में सीनेट के सदस्य आपस में ही उलझ गये. बात धक्का-मुक्की तक पहुंच गयी़ परिनियम में अौर संशोधन की बात करते हुए विधायक शिवशंकर उरांव व नरेंद्र भगत ने आपत्ति जतायी़ पूर्व कुलपति डॉ केके नाग ने नोट अॉफ डिसेंट दिया.
सीनेट की बैठक सुबह 11़ 35 बजे शुरू हुई. कुलपति डॉ रमेश कुमार पांडेय ने जैसे ही अभिभाषण शुरू किया कि सीनेट सदस्य प्रतुल नाथ शाहदेव, भीम प्रभाकर, डॉ मिथिलेश, कंजीव लोचन, आरपी गोप, पवन जेडिया, राकेश किरण व अन्य सदस्यों ने हंगामा किया़ विरोध के मुद्दों में सीनेट की बैठक नियमित बुलाने, एक्शन टेकेन रिपोर्ट जारी करने, छात्र संघ चुनाव कराने, छात्रों के लिए सुविधाएं बढ़ाने, रामलखन सिंह यादव कॉलेज, एसएस मेमोरियल कॉलेज की जमीन बचाने, रांची वीमेंस कॉलेज का हॉस्टल की जमीन विवि के हाथ से निकल जाने अौर रांची विवि की शहीद चौक स्थित जमीन विवि से छीन लिया जाना शामिल है़ सदस्यों ने हाथों में पोस्टर व अखबार की कटिंग लेकर हंगामा किया. किसी तरह हंगामा शांत होने पर कुलपति का अभिभाषण पूरा हुआ.
रजिस्ट्रार ने जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा के शिक्षकों के सामंजन से संबंधित परिनियम संशोधन का प्रस्ताव रखा, तो सभी सदस्यों ने मेजें थपथपा कर अपनी सहमति प्रदान कर दी. हालांकि विधायक शिवशंकर उरांव ने कहा कि वे जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा के शिक्षकों के हित में हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार योगदान की तिथि से सामंजन की बात रहती, तो शिक्षकों को फायदा होता. इसके बाद पूर्व कुलपति डॉ केके नाग ने कहा कि वे इस प्रस्ताव पर अपना नोट अॉफ डिसेंट देते हैं, क्योंकि इस प्रस्ताव में कई बातें स्पष्ट नहीं हैं. सिंडिकेट की सब कमेटी को इस पर अौर मंथन करने की आवश्यकता है. कुलपति ने इस प्रस्ताव पर वोट कराने की बात कही. सभी सदस्यों ने वोटिंग करते हुए इसे ध्वनिमत से पारित कर दिया.
क्या है संशोधन परिनियम में
जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा के 51 शिक्षकों की सेवा सामंजन की तिथि उनके योगदान करने की तिथि से करने संबंधी विभाग के शिक्षकों के आवेदन पर विचार करने के लिए 23 सितंबर 2011 की बैठक में सिंडिकेट सब कमेटी बनायी गयी. इसके अध्यक्ष दिनेश उरांव बनाये गये थे. सब कमेटी ने 51 शिक्षकों का पद सृजन भूतलक्षी प्रभाव यानी 15 जुलाई 1989 से करने की अनुशंसा की. राज्य सरकार ने इसे राज्यपाल सह कुलाधिपति के पास भेज दिया़ कुलाधिपति ने इस प्रस्ताव को सीनेट की बैठक से पारित करा कर भेजने का निर्देश दिया. इस परिनियम के बन जाने से अब इन शिक्षकों को वित्तीय लाभ मिलेगा. साथ ही प्रोन्नति भी मिलेगी.

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