कोतवाली थाने की बीट पुलिसिंग फेल
अजय दयाल, रांची राजधानी में अपराध पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से बीट पुलिसिंग की व्यवस्था कर दी गयी है. सबसे पहले बीट पुलिसिंग के लिए कोतवाली थाने को चुना गया. कोतवाली थाने में इसकी शुरुआत 16 अगस्त को हुई थी. थाने को 22 बीटों में बांटा गया था, लेकिन अब एक माह बीतने के […]
अजय दयाल, रांची
राजधानी में अपराध पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से बीट पुलिसिंग की व्यवस्था कर दी गयी है. सबसे पहले बीट पुलिसिंग के लिए कोतवाली थाने को चुना गया. कोतवाली थाने में इसकी शुरुआत 16 अगस्त को हुई थी. थाने को 22 बीटों में बांटा गया था, लेकिन अब एक माह बीतने के बाद भी बीट पुलिसिंग का फायदा लोगों को नजर नहीं आ रहा है़ विभाग के एक पुलिस अफसर ने भी माना है कि कोतवाली थाने की बीट पुलिसिंग फेल है.
ज्ञात हो कि कोतवाली थाने को 22 बीटों में बांटा गया है़ इसमें चार दारोगा, छह जमादार व 22 सिपाही काे लगाया गया है़ सभी 22 सिपाहियों को एक-एक बाइक व एक मोबाइल दिये गये हैं. उनके मोबाइल नंबर भी सार्वजनिक किये जाने की बात थी, जिससे लोगों को परेशानी न हो, लेकिन सभी लोग आज भी थानेदार को ही फोन करते है़
हर बीट में एक सिपाही को तैनात किया गया है़ चार बीट के प्रभारी एक जमादार, जबकि सात बीट के प्रभारी एक दारोगा को बनाया गया था, लेकिन इसकी शुरुआत नहीं हो सकी़
क्या है बीट पुलिसिंग
एसएसपी के अनुसार बीट पुलिसिंग का अर्थ है एक-एक सिपाही को जिम्मेवारी सौंपना़ हर बीट का प्रभारी एक सिपाही होता है. उस बीट का वारंट, कुर्की, पासपोर्ट जांच सहित अन्य जिम्मेवारी उस बीट के प्रभारी सिपाही की होती है. मतलब उस बीट का थानेदार सिपाही ही होगा़
सभी हमेशा भ्रमण करते रहेंगे़ ज्ञात हो कि अंग्रेजों के समय गांव में सुरक्षा समिति चलती थी, जिसमें भाला, बरछा लेकर चौकीदार हर जगह रहते थे़ उसी व्यवस्स्था के तहत बीट पुलिसिंग की शुरुआत की गयी है़