रांची: ग्राम न्यायालयों में सुलहकर्ता को सफलता पर 500 और असफलता पर 200 रुपये मिलेंगे. सरकार ने ग्राम न्यायालयों में नियुक्त किये जानेवाले सुलहकर्ताओं के लिए फीस की यह रकम निर्धारित की है. ग्राम न्यायालय अधिनियम-2008 के तहत राज्य सरकार ने भी ग्रामीण क्षेत्रों में चार ग्राम न्यायालय खोलने का फैसला किया था.
हाइकोर्ट की सहमति के बाद राज्य के छह प्रखंडों में ग्राम न्यायालय खोलने का फैसला किया गया. इसके तहत बुंडू, जरमुंडी, मधुपुर, बहरागोड़ा, मांडर और झुमरी तिलैया प्रखंड में ग्राम न्यायालय खोलना है.
सरकार ने इन न्यायालयों को चलाने के लिए अनुसचिवीय पदाधिकारयों व कर्मचारियों की सेवा शर्त नियमावली बनायी है. हर ग्राम न्यायालय में न्यायालय के कामकाज के लिए नाजिर, बैंच क्लर्क, ऑफिस क्लर्क, रिकॉर्ड कीपर आदि के पद सृजित किये गये हैं. साथ ही ग्राम न्यायालयों में सुलहकर्ता की नियुक्ति का प्रावधान किया गया है. सुलहकर्ता की नियुक्ति तीन साल के लिए होगी. बेहतर काम करने पर सुलहकर्ता के सेवा काल का फिर विस्तार किया जायेगा.
अर्थात एक सुलहकर्ता अधिकतम छह साल तक काम कर सकेगा. सुलहकर्ता का काम किसी पक्ष की ओर से न्यायालय मुकदमे की पैरवी न कर विवादों के निबटारे के लिए दोनों पक्षों में सुलह कराना होगा. वह दोनों पक्षों की सहमति के बाद सुलहनामा तैयार कर न्यायालय में पेश करेगा. एक मुकदमे में सुलह कराने में सफल होने पर सुलहकर्ता को 500 रुपये मिलेंगे, वहीं असफल होने की स्थिति में प्रति मुकदमा 200 रुपये मिलेंगे. लेकिन दोनों ही स्थितियों में फीस की यह रकम प्रति माह 7000 रुपये से अधिक नहीं होगी.