अब चालू होगी नोवामुंडी माइंस

रांची : टाटा स्टील के नोवामुंडी लौह अयस्क खदान से अब उत्पादन आरंभ हो जायेगा. टाटा स्टील ने खान विभाग को प्रथम किस्त के रूप में 124 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया है. हाइकोर्ट के आदेश के बाद भुगतान किया गया है. खान विभाग द्वारा खदान से उत्खनन की अनुमति दे दी गयी है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 29, 2015 12:46 AM
रांची : टाटा स्टील के नोवामुंडी लौह अयस्क खदान से अब उत्पादन आरंभ हो जायेगा. टाटा स्टील ने खान विभाग को प्रथम किस्त के रूप में 124 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया है. हाइकोर्ट के आदेश के बाद भुगतान किया गया है. खान विभाग द्वारा खदान से उत्खनन की अनुमति दे दी गयी है. खान विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि चालान देने की अनुमति दे दी गयी है.

गौरतलब है कि जुलाई-2015 से नोवामुंडी खदान से उत्खनन बंद था. न तो लौह अयस्क की खुदाई हो रही थी और न ही ढुलाई. क्योंकि सरकार ने चालान निर्गत करना बंद कर दिया था. इसके बाद कंपनी हाइकोर्ट चली गयी. हाइकोर्ट द्वारा 372 करोड़ रुपये तीन बराबर किस्तो में भुगतान करने का आदेश दिया गया. इस कड़ी में पहली किस्त के रूप में 124 करोड़ रुपये का भुगतान सोमवार को किया गया है. अगली किस्त 15 नवंबर और तीसरी किस्त 15 दिसंबर तक दी जायेगी.
क्या है मामला
टाटा स्टील का लीज वर्ष 2009 में समाप्त हो गया था. कंपनी ने लीज नवीकरण के लिए आवेदन दिया था. लीज नवीकरण की प्रत्याशा में डीम्ड रिन्यूअल के तहत खान विभाग द्वारा उत्खनन की इजाजत दी गयी थी. सितंबर 2014 में झारखंड सरकार ने डिम्ड रिन्यूअल को अवैध बताते हुए सभी खदानों पर पेनाल्टी लगाने का आदेश दिया. इसके बाद पांच सितंबर से टाटा स्टील समेत लीज नवीकरण के लिए लंबित सारे खदानों से उत्खनन बंद करा दिया गया था. 31 दिसंबर 2014 को कंपनी को 3500 करोड़ रुपये राज्य सरकार को भुगतान करने की शर्त पर नोवामुंडी के लीज नवीकरण के लिए एक्सप्रेस अॉर्डर जारी किया. इसमें पहली किस्त के रूप में टाटा स्टील 152 करोड़ रुपये दे चुकी थी. दूसरी किस्त के भुगतान की मांग खान विभाग कर रहा था इसी दौरान जनवरी में एमएमडीआर (संशोधन) एक्ट 2015 आ गया. इसके तहत सभी माइंस की लीज 2030 तक बढ़ा दी गयी. टाटा स्टील अब इसके अनुरूप लीज नवीकरण की मांग कर रहा था. जबिक खान विभाग का तर्क था कि लीज नवीकरण की प्रक्रिया एक्ट के पूर्व आरंभ की गयी थी. किस्त नहीं देने के कारण खान विभाग ने जुलाई 2015 से चालान निर्गत करना बंद कर दिया था.

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