संत समाज चलता-फिरता तीर्थ है : नर्मिलानंद जी

संत समाज चलता-फिरता तीर्थ है : निर्मलानंद जीरांची. गंगा, यमुना एवं सरस्वती के संगम को तीर्थ कहा जाता है, लेकिन संत समाज चलता-फिरता संत होता है. तीर्थ में जाने से मनुष्य को सत्य एवं गलती का ज्ञान हो जाता है. वहां विवेक अपने आप काम करने लगता है. उक्त बातें मंगलवार को रांची जिला संतमत […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 6, 2015 9:20 PM

संत समाज चलता-फिरता तीर्थ है : निर्मलानंद जीरांची. गंगा, यमुना एवं सरस्वती के संगम को तीर्थ कहा जाता है, लेकिन संत समाज चलता-फिरता संत होता है. तीर्थ में जाने से मनुष्य को सत्य एवं गलती का ज्ञान हो जाता है. वहां विवेक अपने आप काम करने लगता है. उक्त बातें मंगलवार को रांची जिला संतमत सत्संग समिति के तत्वावधान में चुटिया स्थित मेंही आश्रम में स्वामी निर्मलानंद ने कहीं. उन्होंने कहा कि मनुष्य का हृदय पवित्र होता है. स्वामी संजीवानंद ने कहा कि गुरु के शरण में जाने से सारे तीर्थ मिल जाते हैं.

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